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किसान कस्टम हायरिंग केन्द्रों से किराये पर कृषि यंत्र ले सकते हैं


 

      उज्जैन । राज्य शासन द्वारा कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के सतत प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की गई है। किसान इन केन्द्रों से विभिन्न कृषि यंत्र किराये पर ले सकते हैं। उज्जैन जिले में 57 कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित हैं। इनमें निजी तथा शासकीय सेक्टर के कस्टम हायरिंग केन्द्र सम्मिलित हैं। निजी क्षेत्र के करीब 40 केन्द्र जिले में हैं। इसके अतिरिक्त कृषि अभियांत्रिकी विभाग, अपेक्स बैंक तथा सहकारिता बैंक के भी कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये गये हैं।

      शासन सेक्टर के कस्टम हायरिंग केन्द्रों द्वारा 500 रूपये प्रति घंटा की दर से कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जाते हैं। इन केन्द्रों पर ट्रेक्टर के साथ रोटावेटर, प्लाऊ, कल्टीवेटर, थ्रेशर, सीडड्रिल आदि यंत्र उपलब्ध हैं। निजी स्तर पर कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना के लिये शासन द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। 20 से 25 लाख रूपये के प्रोजेक्ट होते हैं। इन पर 40 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। निजी क्षेत्र में कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जाकर रोजगार का एक अच्छा अवसर मुहैया कराया जा रहा है।

कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयास

      राज्य शासन द्वारा कृषि उत्पादन में वृद्धि तथा किसान की आय में बढ़ोत्री के उद्देश्य से कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के व्यापक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। कृषि यंत्रों के उपलब्धता के साथ ही बुवाई की आधुनिक पद्धतियों तथा तकनीक के इस्तेमाल से किसान की आय को कई गुना बढ़ाने के लिये बहुतेरे प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्रचलित छिटका बुवाई पद्धति के स्थान पर टकार बुवाई को प्रचलन में लाया जाकर उत्पादकता में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। आगामी पांच सालों में 25 हजार सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल वितरण की योजना से इस क्षेत्र को कतार बुवाई में लाया जायेगा।

      सोयाबीन की खेती में रिज और फरो पद्धति को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस पद्धति से कम लागत में अधिक उत्पादन और कम से कम नुकसान होता है। किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से सम्पर्क कर इसकी जानकारी ले सकते हैं। कस्टम हायरिंग केन्द्र भी इस दिशा में व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किये जा रहे हैं। इन केन्द्रों पर उपलब्ध कृषि यंत्रों से लघु, सीमान्त एवं कमजोर वर्ग के कृषकों की खेती में उपयोग से उत्पादकता में 35 प्रतिशत तक की वृद्धि की संभावना है। नरवाई जलाने वाले क्षेत्रों में अनुदान पर 12 हजार ट्रॉ-रिपर, बेलर, हेक्टीसीडर का वितरण कराया जायेगा। नरवाई जलाने को हतोत्साहित करने तथा जैविक मल्चिंग को बढ़ावा देकर मृदा स्वास्थ्य में सुधार करने से 15 से 20 प्रतिशत तक उत्पादकता में वृद्धि की संभावना है। रेज्डबेड प्लांटिंग 15 लाख हेक्टेयर में सुनिश्चित की गई है।

      प्रदेश में बुवाई की उन्नत विधियों रिज्डफरो प्लांटर, रेज्डबेड प्लांटर आदि के उपयोग से 25 से 30 प्रतिशत उत्पादकता वृद्धि का प्रदेश में अनुमान है। आगामी पांच सालों में 20 हजार प्लांट्स अनुदान पर प्रदान किये जायेंगे। प्रतिवर्ष एक लाख हेक्टेयर भूमि को प्रदेश में गहरी जुताई में लेने के लिये हलधर योजना के तहत शामिल किया जायेगा। सोलर कृषि पम्पों को प्रोत्साहित करने की भी योजना है। प्रदेश में 25 हजार सोलर कृषि पम्प अनुदान पर उपलब्ध कराये जायेंगे।

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