उज्जैन में बनाएंगे प्रदेश का पहला जिन आगम मंदिर
गच्छाधिपति आचार्य दौलत सागर सूरी जी ने समाजजनों के बीच रखी मंशा-अवंती पाश्र्वनाथ मंदिर पर हुआ मंगल प्रवेश
उज्जैन। अवंतिका नगरी का पौराणिक इतिहास है यहां के मंदिर और ऐतिहासिक धरोहर विश्व विख्यात है अब इस शहर की पौराणिकता में एक अध्याय और जुड़ सकता है। सागर समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य दौलत सागर सुरीश्वर जी महाराज ने सोमवार को धर्मसभा दौरान उज्जैन में प्रदेश का प्रथम जिन आगम मंदिर बनाने की भावना प्रकट की। वह बोले उज्जैन में कई एतिहासिक जिनालय हैं लेकिन जैन शास्त्रों को प्रदर्शित करता जिनालय नहीं है। ऐसे में 45 आगम युक्त मंदिर बनना चाहिए। बता दे की पूरा जैन धर्म आगम शास्त्र पर ही निर्भर हे। इसी में 24 तीर्थंकर प्रभु की देशना लिखी है।
इससे पूर्व सुबह 8.30 बजे गच्छाधिपति सहित आचार्य नंदिवर्धन सागर आचार्य हर्षसागरजी महाराज का मंगल प्रवेश जुलूस खाराकुआ पेढ़ी मंदिर से निकल कर दानी गेट स्थित अवंति पाश्र्वनाथ मंदिर पहुंचा। यहां सामूहिक चेत्यवंदन उपरांत आचार्यश्री के प्रवचन हुए जिसमें उन्होंने मंदिर जीर्णोद्धार की महत्ता बताई और कल्याण मंदिर स्त्रोत की रचना से प्रकट हुए अवंति पारसनाथ प्रभु के इतिहास को समझाया। मंदिर में त्रिदिवसीय महोत्सव आयोजित हो रहा है। जिसके अंतर्गत मंगलवार को पंचकल्याणक पूजन संध्याकालीन भक्ति व बुधवार को पाश्र्वनाथ महापूजा सहित विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे अवंती पारसनाथ महामंडल के संयोजन में महोत्सव आयोजित होगा। समाज के सुरेश जैन मिर्ची वाला के अनुसार आचार्यश्री की धूमधाम से समाजजनों ने अगवानी की और 2 दिन सभी का स्थिर वास मंदिर में ही रहेगा। धर्मसभा दौरान स्वागत भाषण पुखराज चोपड़ा ने दिया। इस दौरान अशोक मिर्चीवाला, चंद्रप्रकाश जैन, निर्मल सकलेचा, जयंतीलाल जैन तेलवाला, महेंद्र सिरोलिया, राजेश पटनी, प्रकाश बोथरा, रमेश बोहरा, राहुल कटारिया, राजेंद्र तरवेचा, संजय तरवेचा, राजेश कटारिया, मनोज सुराना, धर्मेंद्र जैन सहित बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद रहे।