उज्जैन में पहली बार हुआ दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण
उज्जैन। अपने पैरों पर चलने की उम्मीद छोड़ चुके 78 वर्षीय शशिकांत सरवटे के दोनों घुटनों का प्रत्यारोपन कर एक नई उम्मीद प्रदान की है। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाला आॅपरेशन थिएटर देकर डाॅ. पी.एन. तेजनकर ने शहर को एक बड़ी सौगात दी है जिसके कारण यह प्रत्यारोपन शहर में संभव हो पाया।
शहर में घुटने के जोड़ प्रत्यारोपण काफी समय से किए जाते रहे हैं, लेकिन दोनों घुटनों के संपूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण की पहली शल्यक्रिया 29 मई को डाॅ. जय शर्मा और उनकी टीम के द्वारा तेजनकर हाॅस्पिटल में कर दिखाई है। तीन घंटे चले आॅपरेशन में बेहोशी डाॅ. विशाल मरमट ने प्रदान की। आॅपरेशन थिएटर के कार्यों का भार ओटी असिस्टेंट रवि एवं लोकेन्द्र ने संभाला एवं मरीज को आॅपरेशन पश्चात फिजियोथेरेपी डाॅ. विनय ने प्रदान कर मरीज को 24 घंटे से कम समय में खड़ा कर चलवा दिया।
गुरूवार को प्रेस क्लब में डाॅ. जय शर्मा ने पत्रकारवार्ता में बताया कि पहले इस प्रकार की शल्यक्रिया मुंबई, अहमदाबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में ही की जाती है। उज्जैन में भी अब यह संभव कर दिखाया है। मगर सिर्फ आॅपरेशन करने मात्र से तकलीफ का हल संभव नहीं है, आॅपरेशन के बाद अपने डाॅक्टर से नियमित जांच एवं परामर्श कराना अनिवार्य है। डाॅ. जय शर्मा ने जोड़ प्रत्यारोपण की विशेषज्ञता टोरंटो की डाॅ. ऐलन ग्रोस, कनाड़ा एवं हैदराबाद में डाॅ. गुर्वा रेड्डी से प्राप्त कर अपनी तकनीक को कुशल किया है। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरने वाली आॅपरेशन थिएटर प्रदान कर डाॅ. पी.एन. तेजनकर ने शहर को एक बड़ी सौगात दी जिसका लाभ उठाते हुए अस्थि रोग विशेषज्ञ डाॅ. एस.के. शर्मा के पुत्र डाॅ. जय शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की सेवा प्रदान कर 78 वर्षीय मरीज शशिकांत सरवटे को दर्द मुक्त कराया।