खरीफ के ऋण वितरण में उज्जैन में शत-प्रतिशत कार्य किया गया
हितग्राहीमूलक योजनाओं का पैसा सीधे किसानों के खाते में जाये
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा वीसी ली गई
उज्जैन । बुधवार को भोपाल स्थित मंत्रालय से कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पीसी मीना द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस ली गई। इस दौरान कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता और पशुपालन के विभिन्न मुद्दों पर जिला कलेक्टर्स को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। वीसी में प्रमुख सचिव पशुपालन तथा प्रबंध संचालक एमपी स्टेट कॉपरेटिव डेयरी फाउंडेशन श्री अश्विनी कुमार, प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी, प्रमुख सचिव उद्यानिकी श्री अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग डॉ.राजेश राजौरा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से श्री मीना ने बताया कि फसल कटाई प्रयोगों पर और गत वर्ष फसल बीमा योजना पर अच्छा कार्य प्रदेश में हुआ है। ग्राम उदय से भारत उदय अभियान में और बेहतर कार्य करने की आवश्यकता है।
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये कि हितग्राहीमूलक योजनाओं का पैसा सीधे किसानों के खाते में जाये। प्रत्येक किसान का आधार कार्ड होना जरूरी है, इसलिये जिन किसानों का आधार कार्ड नहीं बना है, उनका आधार कार्ड शीघ्र-अतिशीघ्र बनवाया जाये। गौरतलब है कि शासन के निर्देश अनुसार बिना आधार कार्ड के खाद नहीं मिलेगी। बैठक में सहकारिता सम्बन्धी मुद्दों पर चर्चा के दौरान निर्देश दिये गये कि सहकारिता क्षेत्र की समस्याओं का अविलम्ब निराकरण करें। सोसायटियों के वैध लायसेंस बनवाये जायें और जिनके लायसेंस नवीनीकरण किये जाने हैं, उनका नवीनीकरण शीघ्र-अतिशीघ्र करें। बताया गया कि उज्जैन संभाग में सोसायटियों के सबसे अधिक वैध लायसेंस हैं। जिला स्तर पर सभी कलेक्टर्स इसकी मॉनीटरिंग करवायें।
खरीफ के ऋण वितरण कार्य में भी उज्जैन में शत-प्रतिशत क्रियान्वयन किया गया है। ज्ञात हो कि खरीफ के ऋण वितरण की पूरी प्रक्रिया डीएमआर के द्वारा कोर बैंकिंग के माध्यम से की जायेगी। सभी कलेक्टर्स किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने के कार्य की मॉनीटरिंग जिला स्तर पर करें। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि जो भी उपार्जन का कार्य किया जा रहा है, उसमें किसी भी प्रकार की नगदी की कमी न आये। समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी के खाते शीघ्र-अतिशीघ्र बन्द करवायें। बैंकों की वसूली व सीआर-एआर के मामलों का निराकरण शीघ्रता से करवायें। मुख्यमंत्री कृषक सहायता योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को दिलवाया जाये। वर्तमान में जो प्याज खरीदी की जा रही है, उस प्याज का भण्डारण न करें। इसके स्थान पर अधिक से अधिक परिवहन की व्यवस्था करवायें।
अग्रिम खाद के उठाव पर चर्चा के दौरान बताया गया कि उज्जैन व शाजापुर में उठाव का कार्य बहुत अच्छा हुआ है। संभाग के आगर-मालवा जिले में इस ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। नीमच और उज्जैन में लगभग 71 प्रतिशत अग्रिम खाद का उठाव किया गया है। जिन समितियों द्वारा अभी भी खाद का उठाव नहीं किया गया है, वहां से खाद का उठाव करवाया जाये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिये कि किसी भी हालत में अमानक खाद व बीज की बिक्री न हो। सभी कलेक्टर्स यह सुनिश्चित करें। जिन नमूनों में अमानक खाद या बीज पाये जाते हैं, तो सम्बन्धित संस्थान के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करवायें। उनके लायसेंस भी निरस्त किये जायें। कृषि स्थाई समिति के अध्यक्ष जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी होते हैं, वे भी बैठक आयोजित कर इसकी समीक्षा करें।
सभी जिलों के डीडीए किसानों के खेतों की मेढ़ों पर वृक्षारोपण करवायें। बताया गया कि फलदार वृक्षों को लगाने से किसानों की आय तो दोगुनी होगी ही, इसके साथ ही पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। एक एकड़ जमीन में वृक्षारोपण करने से कुछ वर्षों के बाद किसान को लगभग एक लाख 87 हजार रूपये की आवक होगी। वृक्षारोपण के लिये जन-जागृति करने की भी आवश्यकता है। वृक्षारोपण के लिये शासन की ओर से गड्ढे खोदने, पौधारोपण और उनकी सुरक्षा का व्यय किया जायेगा और उसका मुनाफा किसानों को प्राप्त होगा।
मंडियों में खरीदी पर चर्चा के दौरान बताया गया कि जिस फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है, वहां यह सुनिश्चित किया जाये कि बेहतरीन क्वालिटी का माल निर्धारित दर से कम कीमत पर कतई न खरीदा जाये। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि किसानों को उनकी लागत का पूरा मूल्य प्राप्त हो। किसान कल्याणकारी योजनाओं के बोर्ड मंडियों में लगवाये जायें। प्रमुख सचिव किसान कल्याण तथा कृषि विकास डॉ.राजेश राजौरा ने बताया कि आने वाले कुछ सालों में सोयाबीन का भविष्य इतना उज्ज्वल नहीं है, अत: इसके विकल्प के तौर पर कॉटन, धान और मूंगफली बेहद अच्छे साबित हो सकते हैं। मूंगफली में सोयाबीन की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत अधिक मुनाफा होता है, अत: इस बारे में लोगों को जागरूक किया जाये। किसान अपने खेतों में फसल परिवर्तन करें और फसल चक्र परिवर्तन को बढ़ावा दें। जलवायु के हिसाब से अगर सोयाबीन की फसल लेना अनिवार्य हो, तो उसकी नई-नई किस्मों का प्रयोग किया जाये।
बैठक में बताया गया कि किसानों की फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी गिरदावरी के आधार पर ही की जायेगी, इसलिये खसरे पर फसल का उल्लेख अनिवार्यत: करें। सभी कलेक्टर्स यह सुनिश्चित करें कि गिरदावरी वास्तविक की जाये। जिस फसल की बुवाई की गई है, उसका उल्लेख इसमें अवश्य किया जाना चाहिये। बीज खरीदी के लिये बीज संघ, मप्र बीज निगम और राष्ट्रीय बीज निगम से ही सम्पर्क किया जाये।
बैठक में उद्यानिकी पर चर्चा के दौरान बताया गया कि सभी कलेक्टर्स उद्यानिकी का विकास क्लस्टर्स में करें। कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन पर विशेष ध्यान दिया जाये। उद्यानिकी फसलों की मार्केटिंग पर अधिक से अधिक जोर दिया जाये, ताकि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके। बताया गया कि कोल्ड स्टोरेज के ऑनलाइन आवेदन में उज्जैन जिले में बहुत अच्छा कार्य किया गया है। कॉन्फ्रेंस के दौरान उज्जैन एनआईसी कक्ष में अपर आयुक्त श्री अशोक भार्गव, सीईओ जिला पंचायत श्री संदीप जीआर, उपायुक्त सहकारिता श्री मनोज जायसवाल, उप संचालक कृषि श्री शर्मा एवं सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे।