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कौशल विकास से करेंगे बेरोज़गारी का अंत - मुख्यमंत्री श्री चौहान


 

उद्योगों से सहयोग का किया आव्हान 
कौशल विकास में बहुत आगे निकल गया मध्य प्रदेश - केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री श्री रूड़ी 


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कौशल विकास राज्य सरकार का मिशन है। कौशल विकास से बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करने का महाअभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि श्रम को प्रतिष्ठित करने के लिये कौशल विकास के माध्यम से रोजगार निर्माण पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि युवाओं का भविष्य सँवारने के सभी संभव प्रयास किये जायेंगे। युवाओं को कौशल संपन्न बनाकर बेरोजगारी से मुक्ति देने की क्रांतिकारी शुरूआत प्रदेश में हुई है। श्री चौहान आज यहाँ वैश्विक कौशल विकास और रोजगार में भागीदारी सम्मेलन 2017 के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। समिट का आयोजन मध्यप्रदेश रोजगार निर्माण बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सहयोग से किया गया।

श्री चौहान ने युवाओं का आव्हान किया कि वे निराश और हताश नहीं हो। रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने उद्योगों का आव्हान किया कि वे उद्योगों में कौशल की जरूरत का आकलन करे। राज्य सरकार उन्हें कौशल संपन्न युवा मानव संसाधन उपलब्ध करवायेगी।

हर साल ढाई लाख बेटियों को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण

श्री चौहान ने प्रदेश में कौशल प्रशिक्षण की तैयारियों और योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि सिंगापुर के सहयोग से 600 करोड़ रूपये की लागत से भोपाल में ग्लोबल स्किल पार्क स्थापित होगा। प्रत्येक संभाग में कम से कम एक आदर्श आईटीआई खोला जायेगा। हर साल ढाई लाख बेटियों को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। दिव्यांगों को भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की गतिविधियों को आंदोलन का रूप दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज सभी जरूरी अधोसंरचनात्मक व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं। अनुकूल वातावरण है। मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना, मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन, मुख्यमंत्री कौशल्या योजना जैसी नवाचारी योजनाएँ हैं। प्रदेश हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

मध्यप्रदेश की सरकार सरल और प्रभावी सरकार

केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि पिछले छह दशक में शिक्षा को कौशल विकास का साथ नहीं मिला। इसलिये कौशल विकास के क्षेत्र को अपेक्षित प्राथमिकता नहीं मिल पाई। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर पहली बार कौशल विकास को महत्व मिला है। उन्होंने नये कौशल विकास मंत्रालय के लिये 26 हजार करोड़ का बजट दिया है। अब पोलिटेक्निक, आई.टी.आई. और लघु अवधि के रोजगारोन्मुखी पाठयक्रमों को कौशल विकास मंत्रालय के अंतर्गत लाया गया है।

श्री रूड़ी ने कहा कि जिस मात्रा में उद्योगों में रोजगार उपलब्ध है उस मात्रा में कौशल संपन्न जनशक्ति तैयार नहीं हो पा रही है। उन्होंने मध्यप्रदेश की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान की सक्रियता और संवेदनशीलता से कौशल विकास में मध्यप्रदेश अन्य प्रदेशों से आगे निकल गया है। श्री रूड़ी ने उद्योगों और कौशल की आवश्यकता में परस्पर गठजोड़ करने पर जोर देते हुए कहा कि सभी राज्यों को इस दिशा में तैयारी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्माण के क्षेत्र में तीन करोड़ लोगों की जरूरत है। अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में प्रशिक्षित लोग चाहिये। उन्होंने बताया कि देश में 13 हजार आई.टी.आई. है जिनमें 23 लाख बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं। अब आई.टी.आई में आठवीं पास बच्चे को 10वीं और 10वीं पास बच्चों को बारहवीं कक्षा की मान्यता होगी। उद्योगों के सुझाव पर नये ट्रेड भी पढ़ाये जायेंगे।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने मध्यप्रदेश में कौशल विकास की दिशा में हुए काम की सराहना करते हुए कहा कि श्री चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने तेज गति पकड़ी है। मध्यप्रदेश की सरकार सरल और प्रभावी सरकार है। यहाँ की नौकरशाही भी पूर्णत: जवाबदेह है। उन्होंने उद्योगों का आव्हान किया कि वे अपने अनुभव, ज्ञान और जरूरत के अनुरूप बताये कि किस प्रकार का कौशल अपने उद्योगों के लिये चाहते हैं। इससे दोनों को परस्पर लाभ होगा। युवाओं को रोजगार मिलेगा और उद्योगों को कौशल संपन्न युवा शक्ति मिलेगी।

प्रदेश के उद्योग मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि मध्य प्रदेश में निवेश की अपार संभावनाएँ हैं। सीमेंट हब और पावर हब बन गया है। अब इंदौर आई टी हब बन रहा है। कौशल विकास की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि रोजगार देने वाले और प्राप्त करने वाले एक मंच पर आना चाहिए। स्किल की कमी अब दूर हो रही है। बेरोजगारी का कलंक मिटाना पहली प्राथमिकता है।

यह कहा उद्योगपतियों ने

भारतीय उद्योग परिसंघ के वेस्टर्न रीजन प्रमुख श्री अरुण नंदा ने कहा कि लघु उद्यमिता कम होती जा रही है। इसे बढ़ावा देना सबकी साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि उद्योगों को स्वयं अपनी जरूरतों को आगे आकर बताना होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि पिछले आठ-दस सालों में मध्यप्रदेश में जो परिवर्तन हुआ है वह पिछले 30-32 सालों में भी नहीं हो पाया था।

आईटीसी के प्रमुख श्री चितरंजन दार ने कहा कि आईटीसी खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में प्रदेश में काम कर रहा है। सुंगधित और औषधीय पौधों की खेती में कदम बढ़ाया है। नौकरी डॉट.कॉम के श्री वी. सुरेश ने कहा कि जल्दी ही मोबाइल उपयोग में भारत अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। उन्होंने कहा कि यह मिथक है कि प्रौद्योगिकी रोजगार खत्म कर देती है इसके उलट प्रौदयोगिकी रोजगार निर्माण में सहायक होती है।

उद्योगों से अनुबंध

इस अवसर पर रोजगार और कौशल बढ़ाने और रोजगार निर्माण के लिये सी.आई.आई एवं ट्रायफेक, एकेवीएन एवं सीपेट, महिला-बाल विकास एवं म.प्र. स्किल डेव्हलपमेंट मिशन, टी.सीआई एवं स्किल डेव्हलपमेंट मिशन एवं जेवीएम आटो एवं स्किल डेव्हलपमेंट मिशन के बीच अनुबंध हुए।

मध्यप्रदेश रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष श्री हेमंत देशमुख ने स्वागत भाषण में कहा कि महिलाओं, नि:शक्तजनो, जनजातीय लोगों के लिये रोजगार मेले लगाये जायेंगे। उन्होंने समिट को नवाचारी पहल बताते हुए कहा कि इससे उद्योगों को कौशल संपन्न मानव संसाधन उपलब्ध होगा। उद्योगों के सहयोग से कौशल की जरूरत का आकलन आसान हो जायेगा।

मुख्य सचिव श्री बी.पी.सिंह ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि मध्यप्रदेश युवाओं का प्रदेश है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण क्षमता कई गुना बढ़ी है। तीन विशेषज्ञता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र है। उन्‍होंने “रोजगार की पढ़ाई- चले आई.टी.आई.” अभियान की चर्चा करते हुए बताया कि केंद्र का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना एवं अन्य नवाचारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 19 क्षेत्रों में प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया,  महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस, तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी, सूक्ष्म  लघु एवं लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री श्री संजय पाठक, बड़ी संख्या में युवा उद्यमी एवं उद्योगों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

ए.एस

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