अलगाववादियों और उपद्रवियों के विरूद्ध हो सख्त कारवाई, अलगाववादियों पर एक हजार करोड रूपये खर्च
डॉ. चन्दर सोनाने
जम्मू और कश्मीर राज्य में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के शांति प्रयासों पर अलगाववादियों ने पानी फेर दिया हैं। अलगाववादियों की विभिन्न सुविधाओं पर सन् 2010 से अभी तक करीब एक हजार करोड़ रूपये खर्च कर दिए गए हैं। इनके रहने , खाने, सुरक्षा, यात्रा, होटल , वाहन आदि पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार प्रति वर्ष सवा सौ करोड़ से अधिक राशि खर्च कर रही हैं। अलगाववादियों पर खर्च की जाने वाली इन समस्त राशियों पर केन्द्र और राज्य सरकार को तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। साथ ही अलगाववादियों और उपद्रवियों के विरूद्ध सख्त से सख्त कारवाई भी करना चाहिए। जम्मू कश्मीर में 6 जुलाई 2016 से भड़की आग शांत होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अलगाववादी ऐसा चाहते भी नहीं हैं। इसलिए समस्त प्रतिबंधित अलगाववादी संगठनों के अलगाववादियों को वी आई पी की तरह रखना बंद कर तुरंत जेल में डाल देना चाहिए। उन्हें जेल की ही रोटी खाने के लिए दी जानी चाहिए। उन पर होने वाले अनाप शनाप खर्च को तुरंत बंद भी कर देना चाहिए।
केन्द्र सरकार और राज्य सरकार प्रतिवर्ष जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों पर करोड़ो रूपये लुटा रही हैं। राज्य में करीब दो हजार अलगाववादी चिन्हित हैं। इनमें से जम्मू में 109 , डोडा में 93 , श्रीनगर में 207 शोपियान में 54, अनंतनाग में 114, बारामुला में 195, कुपवाड़ा में 82, पुलवामा में 70 बड़गांव में 62 तथा अन्य जम्मू कश्मीर में बिखरे हैं। वर्ष 2014-15 में ही राज्य सरकार ने अलगाववादियों पर करीब 120 करोड़ रूपये खर्च किए। मजेदार बात यह हैं कि विधवा और बेसहारा महिलाओं के कल्याण के लिए सौ करोड रूपये ही दिए गए हैं। वर्ष 2015 - 2016 में इन अलगाववादियों की सुरक्षा के लिए 191 लोगों पर ही 234 करोड़ रूपये से अधिक राशि खर्च हुई।
जम्मू कश्मीर राज्य में पुलिस बल की कुल संख्या 73363 हैं। इनमें से 18000 से अधिक पुलिस कर्मियों को अलगाववादियों और नेताओं की संपत्ति ,घरों और उनकी व्यक्तिगत सेवा में भी तैनात किया गया हैं। यही नहीं 8 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों को इन अलगाववादियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया हैं। जब यह अलगाववादी खाते यहां के हैं और बजाते पाकिस्तान के हैं, तो क्यों उन पर करोड़ो रूपये की राशि राज्य सरकार व केंद्र सरकार खर्च करें ?
आश्चर्य की बात यह हैं कि जिन अलगाववादियों पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च की जा रही हैं , वह उन अलगाववादियों में से एक डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के चेयरमैन हाशिम कुरैशी भी शामिल हैं। इसने 30 जनवरी 1971 को इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण करने के बाद उसे पाकिस्तान लेकर चला गया था। अलगाववादियों में से एक प्रमुख हैं हुर्रियत संगठन । सन् 2004 से हुर्रियत के नेताओं को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा दी जा रही हैं। इस संगठन के नेताओं पर भी प्र्रतिवर्ष करोडों रूपये खर्च किए जा रहे हैं। हुर्रियत की यह खासियत यह है कि वो जिस थाली में खाता हैं , उसी की थाली में छेद करता हैं। हुर्रियत का गुजारा सरकारी खर्चो पर ही होता हैं, किन्तु वे देश के खिलाफ ही काम करते हैं।
जम्मू कश्मीर में हुर्रियत संगठन की तरह ही 28 अन्य संगठन और हैं, जो प्रमुख अलगाववादी हैं। इनमें प्रमुख हैं- जमायत -ए- इस्लामी, मुस्लिम कान्फ्रेंस, पीपुल्स लीग, पीपुल्स कांफ्रेंस , इत्तेहात-ए ं- मिस्लमीन, जेकेएलएफ आदि प्रमुख संगठन हैं। इन संगठनों से जुडे लोग हमेशा भारत से कश्मीर को अलग करने की ही वकालात करने आए हैं। इन संगठनों में से हुर्रियत संगठन जम्मू कश्मीर राज्य में प्रमुख रूप से सक्रिय हैं। लगभग सभी चरमपंथी संगठनों का यह प्रतिनिधित्व करता हैं। इन्ही संगठनों के उकसाने पर जम्मू कश्मीर के युवा लोग हाथों में ईंट और पत्थर लिए सेना और पुलिस के जवानों पर हमला कर रहे हैं। ये युवक किसी भी बडे नेताओं के पुत्र, पौत्र, पौत्री या रिश्तेदार नहीं होते हैं, बल्कि सामान्य घरों के युवक होते हैं। इन्हे पैसे देकर और धार्मिक भावनाएं भड़का कर उपद्रव करवा रहे हैं। मजेदार बात यह हैं कि जम्मू कश्मीर के जितने भी अलगाववादियों के संगठन हैं, लगभग सभी संगठनों के बच्चों विदेशों में पढ़ रहे हैं और ऐशो आराम से जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनके बच्चें शांत माहौल में ही जम्मू कश्मीर में आते हैं और जैसे ही उपद्रव की स्थिति बनती हैं ये अपने बच्चों को तुरंत विदेश में सुरक्षित माहौल में भेज देते हैं। यह उनकी करनी और कथनी के अंतर को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं।
जम्मू कश्मीर राज्य के सभी अलगाववादियों की हकीकत से आज ष्सारा देश परिचित हो चुका हैं। अब उन्हें किसी भी प्रकार की मदद और सुरक्षा देना तुरंत प्रभाव से बंद करना चाहिए। यही नही उनके विरूद्ध सख्त कारवाई भी करना चाहिए । इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में शांति स्थापना करने के लिए उपद्रवियों पर भी सख्त कारवाई करने की आज सख्त आवश्यकता हैं। हमारा देश भारत का स्वर्ग कहलाने वाला जम्मू कश्मीर राज्य तभी एक शांत प्रदेश बन सकेगा और वहां के बंद पडे पर्यटन उद्योग में पुनः निखार आएगा।
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