पुलिस और सेना पर हो रहे हैं हमले, आखिर हो क्या रहा हैं कश्मीर में ?
डॉ. चन्दर सोनाने
8 जुलाई 2016 को आतंकवादी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत हो जाने के बाद अचानक कश्मीर में हिंसा भड़क उठी। देखते देखते राज्य के अनेक हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया। करीब दो सप्ताह होने आ रहा हैं। अभी भी स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पाई हैं। स्थिति को नियंत्रण करने में जुटे पुलिस और सेना के जवानों पर और वाहनों पर कश्मीर के युवाओं द्वारा लगातार हमले हो रहे हैं। कश्मीर में ऐसी हालात जगह जगह दिखाई दे रहीं हैं। आखिर कश्मीर में हो क्या रहा हैं ? उल्लेखनीय हैं कि राज्य में सत्ता में भाजपा भी भागीदारी कर रहीं हैं। ऐसी स्थिति में भी स्थिति नियंत्रण में नहीं होना , अनेक सवाल खडे कर रही हैं।
आज से करीब 32 वर्ष पूर्व 11 फरवरी 1984 को आतंकवादी मकबूल बट को फांसी देने के बाद भी स्थिति बिगड़ी थी, किंतु ऐसे हालात तब भी नहीं होने पाए थे। अब क्यों ऐसे हालात बन गए हैं ? यह सबके लिए सोचने और चिंतन करने का विषय हैं। कश्मीर की समस्या की तह में पाकिस्तान हैं, यह सब जानते हैं। किंतु केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद और जम्मू-कश्मीर राज्य में सत्ता में राष्ट्रवादी भाजपा की भागीदारी होने के कारण सामान्यतः यह माना जा रहा था कि अब स्थिति तेजी से नियंत्रण में आएगी। किंतु हालात इसके उलट हो रहे हैं। केंद्र में और राज्य में भाजपा दोनों जगह चुप हैं। यह चिंता का विषय हैं। राष्ट्रवादी मानी जाने वाली भाजपा के राज्य में भागीदारी होने के बावजूद यह स्थिति होना अचरज एवं दुखी करने वाली बात मानी जा रहीं हैं। क्या यह माना जाय कि सत्ता के लालच में भाजपा भी वहीं कर रहीं हैं , जो कांग्रेस कर रहीं थी। अर्थात मुस्लिमों का तुष्टिकरण । यह खतरनाक बात हैं।
चिंता की बात यह भी हैं कि पहली बार काफी संख्या में नाबालिक युवक पुलिस और सेना के जवानों और वाहनों पर खुलेआम हमला करते हुए जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति अचानक नहीं आई हैं। निश्चित रूप से आतंकवादी बुरहान वानी ने नाबालिकों को आतंकवाद में शामिल करने की काफी पहले से योजना बनाई होगी । और उसके द्वारा इसका क्रियान्वयन भी निश्चित रूप से किया जाता रहा होगा । तभी यह स्थिति दिखाई दे रही हैं। केंद्र ओर राज्य की गुप्तचर सेवा के कार्यो पर भी यह प्रश्नचिन्ह हैं। न केवल उन्होंने आतंकवाद में नाबालिकों को धकेलने के बुरहान के प्रयासों को नजर अंदाज किया, बल्कि वानी की मुठभेड में मौत होने के बाद की स्थिति का आंकलन करने में भी वह निश्चित रूप से असफल रही है। यह अत्यंत ही चिंता का विषय हैं।
देश के और जम्मू कश्मीर राज्य के सभी दलों को कम से कम राष्ट्र हित में एक मत होना चाहिए कि किसी भी स्थिति में आतंकवाद को संरक्षण नहीं दिया जाएगा। यही नहीं , बल्कि आतंकवाद पर सख्ती से नियंत्रण के लिए सभी दलों को एकजुट होकर राष्ट्रहीत में एक साथ कार्य करने की भी आवश्यकता हैं। सही समय की मांग हैं। अन्यथा भविष्य हमें कभी माफ नहीं कर पाएगा।