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20,000 चूहों का मंदिर



यह दनिया बड़ी ही अजब-गजब जगहों से भरी पड़ी है। अगर आप सोंचते हैं कि आपने भारत में बहुत कुछ देख लिया है और अब यहां देखने लायक कुछ नहीं बचा तो आप जाने-अंजाने कहीं कुछ बड़ा मिस कर देंगे।

जहां कई घरों में लोग चूहा देख कर उसे भगाने के पीछे पड़ जाहे हैं वहीं इसी भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां लगभग 20,000 चूहे देखने को मिल जाएंगे।

जी हां, हम बात कर रहे हैं मां करनी माता मंदिर की जो कि राजस्‍थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक गांव की सीमा में स्थित है।
यह मंदिर चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। करनी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहां एक गुफा में रह कर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है।

कहते है करनी माता 151 वर्ष जिन्दा रहकर 23 मार्च 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी। उनके ज्योतिर्लिं होने के पश्चात भक्तों ने उनकी मूर्ति की स्थापना कर के उनकी पूजा शुरू कर दी जो की तब से अब तक निरंतर जारी है।
यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर बड़ा ही देख संभल कर चलना होता है क्‍योंकि मंदिर के अंदर अनेको चूहें हैं, जिनकी सुरक्षा करना सभी का धर्म है।

ये चूहे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। यहां पर आने वाले भक्‍तों को चूहों का जूठा प्रसाद दिया जाता है। चूहों की रक्षा के लिये मंदिर में बारीक जालियां भी लगाई गईं हैं जिससे उनकी रक्षा चील, गिद्ध और अन्‍य जानवरों से की जा सके।

मां करनी मंदिर के बारे में आइये जानते हैं और भी रोचक बातें साथ ही यह भी पता लगाएंगे कि इन चूहों के पीछे आखिर कौन सा राज़ छुपा हुआ है।

कौन हैं ये चूहे

माना जाता है कि ये चूहे करनी माता की संतान हैं। करनी माता की कथा के अनुसार एक बार उनका सौतेला पुत्र लक्ष्मण, सरोवर में पानी पीने की कोशिश में डूब कर मर गया। जब करनी माता को यह पता चला तो उन्होंने, यम राज को उसे पुनः जीवित करने की प्राथना की। पहले तो यम राज ने मना किया पर बाद में उन्होंने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया।


सफेद चूहें हैं सबसे पवित्र

इन 20 हज़ार काले चूहों के बीच में 7 सफेद चूहे भी घूमते हैं, जो कि सबसे पवित्र माने जाते हैं। अगर आपको यह मंदिर में कहीं दिख गए तो समझिये कि आप बहुत भाग्‍यशाली हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं जल्‍द पूरी हो जाएंगी।


मंदिर के नियम

मंदिर के नियम के हिसाब से अगर किसी भक्‍त का पैर किसी भी चूहे के ऊपर पड़ गया और वह मर गया तो यह एक घोर पाप होगा। इसलिये मंदिर आने वाले भक्‍तों को अपना पहला कदम घसीटते हुए चलना होता है। पाप का भुगतान करने के रूप मे अपराधी को एक सोने या चांदी के चूहे की मूर्ति खरीद कर मंदिर में ही रखनी पड़ती है, तब जा कर उसका पाप धुलता है।


कौन हैं करनी माता

करनी मां को मां जगदंबा का अवतार माना जाता है। उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। उनकी शादी के बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया तो और उन्‍होने खुद को माता की भक्‍ति और लोगों की सेवा में लगा दिया। इस मंदिर में एक गुफा भी है जहां पहले करनी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी। कहते हैं यही पर माता जी ज्योतिर्लिन हुई थी।

चूहों का जूठा प्रसाद खाते हैं भक्‍त

यहां पर रहने वाले चूहों को काबा कहा जाता कहां जाता है। माँ को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद को पहले चूहे खाते है फिर उसे बाटा जाता है।

 

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