शिव नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान श्री महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दिये दर्शन
शिव नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान श्री महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दिये दर्शन
उज्जैन 19 फरवरी 2025 । मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को भारत के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख एक माना जाता है। पुण्य सलीला शिप्रा तट पर स्थित उज्जैन प्राचीनकाल में उज्जयिनी के नाम से विख्यात था। इसे अवन्तिकापुरी भी कहते थे। यह स्थान हिन्दू धर्म की सात पवित्र पुरियों में से एक है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम व उल्हास के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान भगवान श्री महाकालेश्वर 25 फरवरी 2025 तक अलग-अलग नौ रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि महापर्व मनाया जायेगा।
प्रतिदिन की भांति श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में सभामंडप के समीप स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 08 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ शिव नवरात्रि महोत्सव के तृतीय दिवस का प्रारम्भ हुआ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राम्हणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया । पूजन का यह क्रम 25 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन चलेगा |
अपराह्न में 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान ने चंदन व भांग श्रृंगार कर निराकार से साकार रूप धारण किया।
शिव नवरात्रि पर्व के तृतीय दिवस संध्या पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्री महाकालेश्वर को नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भगवान जी का भांग, चंदन व सूखे मेंवे से श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को नागकुंडल एवं फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करवाया गया।
गुरुवार 20 फरवरी 2025 को श्री महाकालेश्वर भगवान श्री घटाटोप के स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देगें।
मंदिर प्रांगण में 115 वर्षों से चल रही हरि कीर्तन की परम्परा
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इस वर्ष नौ दिवसीय नारदीय कीर्तन हेतु पुणे से राष्ट्रीय कीर्तनकार आयुर्वेदाचार्य डॉ.अजय अपामार्जने को आमंत्रित किया गया है | श्री महाकालेश्वर मंदिर में यह परंपरा विगत 115 वर्षों से भी अधिक समय से चलती आ रही है।
18 फरवरी 2025 से डॉ. अजय अपामार्जने की नौ दिवसीय कथा का प्रारंभ हुवा है | कीर्तन प्रतिदिन सायं 05 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर हो रहा है | हरिकीर्तन के दूसरे दिन डॉ. अपामर्जने ने राम-कृष्ण-हरि के कीर्तन पश्यात भगवान महाकाल के भक्त की कथा शिव भक्त नाभाग कथा का वर्णन किया | संस्कारी सुपुत्र, कुल का उद्धार करता है धर्मप्रेम, मातृपितृ भक्ति, ईश्वर भक्ति से ही संभव है | श्री अपामार्जने ने कहा कि, देशभक्ति के सभी संस्कार कीर्तन के माध्यम से अत्यंत प्रभाव से संभव है | कीर्तन यह समाज में संस्कार, समाज जागृति का श्रेष्ठ साधन है | उन्होंने कीर्तन को प्रोत्साहन देने का दिव्य कार्य श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति उज्जैन (म.प्र) अत्यत श्रद्धा पूर्वक कर रही है इस हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। । कथा के दौरान तबला पर संगत श्री श्रीधर व्यास ने की।