मुंबई की चकाचौंध छोड़कर अपने गृहनगर पहुंची फेमिना मिस इंडिया, उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में निराश्रित और बेसहारा बुजुर्गों के साथ किया नए साल 2025 का आगाज, कहा - काफी कुछ सीखने को मिला
उज्जैन - ऐसे लोग इस दुनिया में कम ही होते हैं, जो खास मौकों पर समाज के वंचित और उपेक्षित वर्ग के बीच रहकर उन्हें खुशियां देने का काम करते हैं। ऐसा ही कर दिखाया है फेमिना मिस इंडिया निकिता पोरवाल ने। दरअसल नए साल के अवसर पर निकिता मुंबई की चकाचौंध छोड़कर अपने गृहनगर उज्जैन पहुंची थीं। उज्जैन प्रवास के दौरान निकिता ने अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम जाने की मंशा जताई और अपने परिवार के साथ वहां पहुंच गई। मिस इंडिया ने यहां 4 घंटे से अधिक का समय बिताया। इस दौरान निकिता पोरवाल ने यहां रह रहे 1100 से अधिक बेसहारा बुजुर्ग, दिव्यांगजनों के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेट किया और उनके चेहरों पर खुशियां लाने का प्रयास किया। निकिता ने यहां बुजुर्गों से कविता सुनी और बातचीत की। मिस इंडिया ने यहां बेसहारा नन्हें बच्चों से लाड़ जताया। एक दृष्टिहीन दिव्यांग बालिका ने ढोलक की थाप पर निकिता को गीत भी सुनाया। मिस इंडिया ने यहां हालही में लाए गए भिक्षुकों को संकल्प भी दिलाया कि वे कभी भिक्षावृत्ति नहीं करेंगे। आपको बता दें कि अंकित ग्राम सेवा धाम आश्रम में कई तरह की बीमारियों से ग्रसित लोग रहते हैं। जिनसे इनके परिवार वाले ही मुंह मोड़ चुके हैं। ऐसे लोगों से किसी सेलिब्रिटी का सच में एक अलग तरह का सेवा कार्य है।
ये बोलीं निकिता
निकिता पोरवाल ने कहा कि मेरा यहां आना काफी भाव विभोर सा ऐक्सपीरियंस रहा है। सारे बच्चों से मिलना, सारे वृद्ध माता-पिताओं से मिलना, सारे विक्टिम से मिलना और देखना कि वे किस तरह से खुश रहते हैं। आश्रम संचालक का जिक्र करते हुए निकिता ने कहा कि यहां पर हमारे जो सुधीर पिताश्री हैं, उन्होंने न सिर्फ उन लोगों की जान बचाई है, बल्कि उनमें एक जिंदगी भारी है, उन लोगों के अंदर एक जान दिखती है। उनकी खुशी, उनकी मुस्कुराहट देखकर मुझे काफी कुछ सीखने को मिला और नए साल के लिए काफी सारे संदेश मैं यहां से लेकर जा रही हूं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 16 अक्टूबर 2024 को निकिता पोरवाल ने फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतकर उज्जैन और अपने परिवार का नाम रोशन किया था। निकिता मॉडलिंग के साथ-साथ नाटकों में काम और फिल्मों में अभिनय भी कर चुकी हैं।