कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे - सुरेन्द्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे
- सुरेन्द्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
किसी थाना क्षेत्र में दूसरे थाना क्षेत्र की पुलिस जुए के कुख्यात अड्डे पर छापामार जुआरियों को ले उड़े तो इसी गीत की पंक्तियां ज़हन में आतीं हैं कि कारवां गुज़र गया गुबार.........
खजुराहो के जिस जुए के अड्डे पर नौगांव एसडीओपी ने रुप बदलकर कार्रवाई की है, क्या खजुराहो पुलिस को इस अड्डे की जानकारी नहीं थी?
आम नागरिकों के सवाल...
*क्या खजुराहो पुलिस निकम्मी है?
*क्या खजुराहो पुलिस भ्रष्ट है?
*क्या खजुराहो पुलिस के संरक्षण में ही यह अड्डा संचालित हो रहा था?
खजुराहो के सूत्र दावा करते हैं कि इस क्षेत्र में एक नहीं अनेक अड्डे संचालित हो रहे हैं, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। केवल अपना अड्डा चलता रहे इसलिए दूसरे का अड्डा खत्म होना चाहिए। यह पकडधकड इसी का नतीजा है।
पुलिस ने जिन 18 लोगों की गिरफ्तारी प्रदर्शित की है उसमें छतरपुर जिले के मात्र 4 जुआड़ी शामिल हैं। कानपुर जैसे महानगर से जुआ खेलने वाले खजुराहो जैसी जगह को सुरक्षित मानकर आ रहे हैं तो आप स्वयं अंदाजा लगाइए कि जुआ खेलने वाले स्वयं को कितना सुरक्षित महसूस करते हैं।
पुलिस ने बीस लाख रुपए बरामद करने का दावा किया है। जबकि जुए के फड़ पर कम से कम दो करोड़ रुपए के दांव लगाए जा रहे थे। दावा करने वाले कहते हैं कि "सारांश'' का निर्माण ही ऐसी गतिविधियों के लिए किया गया था। जिन स्थानों पर अनैतिक गतिविधियां संचालित होती हैं उस स्थान के संचालक को भी मुलजिम बनाया जाता है। परंतु अभी तक का सारांश यह है कि उसके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई के संकेत नहीं हैं।
पुलिस प्रशासन के दस्तावेजों में नौगांव एसडीओपी की यादगार सफलता का फलसफा दर्ज किया जाएगा। होना भी चाहिए। वह शाबाशी के साथ इनाम के भी हकदार हैं। लेकिन जिन पुलिस कर्मियों के संरक्षण में यह फल-फूल रहा था उनको क्या प्रतिसाद दिया जाएगा?
बहरहाल पुलिस की इस आशातीत कामयाबी पर इस विश्वास के साथ बधाई कि आगे भी यह सिलसिला चलता रहेगा। भले ही दूसरे थाना क्षेत्र के स्टाफ का सहारा लेना पड़े।