अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के कदम का स्वागत - अ. भा. पुजारी महासंघ
उज्जैन- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने अखाड़ों की गुप्त रिपोर्ट लेकर 13 महामंडलेश्वर को निष्कासित किया और 112 संतों-महंतों को नोटिस देकर उनके निष्कासन की कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने इसका स्वागत करते हुए उन्हें साधुवाद के स्थान पर ईश्वरवाद की उपाधि देते हुए आशा की है कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए आप ऐसे ही कठोर कदम उठाते रहेंगे जिससे सनातन धर्म के साधु-संत, महामंडलेश्वर बनने की एक आदर्श आचार संहिता की परंपरा स्थापित हो सकेगी। अ.भा. पुजारी महासंघ ने एक पत्र देश के चारों शंकराचार्यों को भेज कर सनातन धर्म की रक्षा के लिए सर्वमान्य महामंडलेश्वर बनाने की मांग की प्रति अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की ओर भी भेजी है जिसमें आदर्श आचार संहिता बनाने और चुनाव पद्धति के अनुसार महामंडलेश्वर बनाने की शुरुआत करने की मांग की है कि जो केवल अपने अखाड़ों का नेतृत्व ही नहीं बल्कि पूरे सनातन धर्म का नेतृत्वकर्ता हो। क्योंकि जन चर्चा है कि अखाड़ों में धन बल के द्वारा महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं। उस पर विराम लगे जिससे अखाड़ा परिषद की छवि दूध के सामान साफ रहे। यह ऐतिहासिक परिवर्तन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की ओर से हो ऐसी मंशा हैं और पुजारी महासंघ की ओर से यह भी मांग है कि 13 अखाड़ों में कुल कितने महामंडलेश्वर नियुक्त किया जा सकते हैं यह भी स्पष्ट हो। श्री पुजारी ने यह भी आग्रह किया है कि गृहस्थों को महामंडलेश्वर नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में सनातन धर्म की धज्जियां उड़ाई जा रही है। कई कथावाचक एवं संतों के द्वारा देवी-देवताओं के बारे में अनर्गल शब्दों के प्रयोग किए जाते हैं। इस पर रोक कैसे होगी? यह भी आप संज्ञान में ले। पुजारी महासंघ की ओर से महंत रविंद्र पुरी जी को सनातन धर्म की रक्षा के लिए उठाए कठोर कदम के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद एवं ईश्वरवाद की उपाधि से अलंकृत किया जाता हैं।