राम मंदिर में तिलक चरणामृत पर प्रतिबंध मुग़ल शासन जैसा
पिछले माह अयोध्या के राम मंदिर में राम भक्तों के माथे पर अब चंदन और चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगाई दी गई थी। ट्रस्ट के सदस्य ने पुजारियों को चंदन लगाने और दक्षिणा लेने से रोका था । भक्तों से दक्षिणा दान पेटिका में ही डलवाने के लिए कहा गया था। अब इस निर्णय के विरोध में महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष ने इस निर्णय पर आपत्ति लेते हुए ट्रस्ट के सचिव सम्पत राय और संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर तिलक और चरणामृत की व्यवस्था की दोबारा शुरू करने की मांग की है।
महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने विरोध जताते हुए इसे मुग़ल कालीन शासन बताते हुए कहा कि ये निर्णय उचित नहीं है ये आदेश हमें मुग़ल काल और अंग्रेज काल की याद दिलाता है। जल्द इस पर निर्णय नहीं लिया तो सनातन व्यवस्थाओं गुलामी से निकलने के लिए कठोर कदम उठाएंगे।
महेश पुजारी ने कहा कि हिन्दू सनतान मंदिर में तिलक और चरणामृत परम्परा है, अगर ये नहीं होता है तो धर्म स्थल कैसा कहलाएगा, राम मंदिर ट्रस्ट ने प्रतिबंध लगाया है हम इसका विरोध करते है. हमने एक पत्र चम्पत राय जी को लिखा है और से कहा है की आपका आदेश हमें मुग़ल काल और अंग्रेज काल की याद दिलाता है। तुरंत प्रतिबंध हटाकर भक्तो को तिलक और प्रसाद की व्यवस्था करें,ये शुरुआत है जन आंदोलन भी करेंगे पूरे देश में आवाज उठेगी। सनातन व्यवस्थाओं गुलामी से निकलने के लिए कठोर कदम उठाएंगे।