उत्तर भारत का प्रमुख प्रतिनिधि और लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य कथक
उज्जैन - उत्तर भारत का प्रमुख प्रतिनिधि और लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य कथक है ,कत्थक का शाब्दिक अर्थ है, कथा कहना । शताब्दियों की गौरवशाली यात्रा करते हुए कथक नृत्य का स्वरूप निरंतर संवरता रहा है ।शास्त्रीय कथक नृत्य के तीन महत्वपूर्ण अंग है -हस्त मुद्रा, पद संचालन एवं चक्कर। सुयोग्य गुरुओं के निर्देशन में प्रशिक्षण और सतत अभ्यास के द्वारा ही कथक नृत्य में महारत प्राप्त की जा सकती है। उक्त उदगार नई दिल्ली की युवा नृत्यांगना सुश्री आंचल रावत ने मंगलवार को स्पीक मैके एवं भारत सरकार के उपक्रम आइओसीएल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित होने वाली पांच दिवसीय कार्यशाला प्रदर्शन श्रंखला के प्रथम दिवस प्रातः 11.:00बजे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ग्राम पवासा मक्सी रोड पर विद्यार्थियों से मुखातिब होते हुए कही। नृत्यांगना ने अपने प्रदर्शन की शुरुआत"पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा स्वरबद्ध गुरु वंदना "गुरु चरणनन में शीश नवाऊं से गुरु की महिमा का बखान किया ।तत्पश्चात श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए श्री कृष्ण एवं गोपियों के बीच होने वाली नोंकझोंक को कत्थक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए अपने भाव पक्ष की दक्षता को उजागर किया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रधानाध्यापक डी एस घोड़वाल ने किया। सुश्री आंचल रावत की द्वितीय प्रस्तुति अपराह्न 1: 00 बजे शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम दत्रावदा मैं हुई। यहां उन्होंने छात्र छात्राओं को विभिन्न हस्त मुद्राओं एव पदसंचालन का प्रशिक्षण भी दिया। अंत में उस्ताद समीउल्लाह खान द्वारा ध्वनि बद्ध झप ताल में तराना की प्रस्तुति कर अपनी तकनीकी दक्षता का परिचय दिया। अंत में आभार प्रभारी प्रधानाध्यापिका विमला सिंह ने माना।
स्पीक मेंके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल के अनुसार कल बुधवार दिनांक 10 जुलाई को सुश्री आंचल रावत की प्रथम प्रस्तुति प्रातः प्रातः 11:00बजे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ग्राम दत्तोत्तर एवं द्वितीय प्रस्तुति अपराह्न 1:00 बजे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ग्राम ताजपुर ,मक्सी रोड पर होगी।