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चैंबर के पास ड्यूटी लगाएंगे:बारिश का पानी महाकाल मंदिर के गर्भगृह व आंतरिक परिसर में न भर जाए, इसके लिए कर्मचारी करेंगे तैनात


उज्जैन श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह और आंतरिक परिसर में बारिश का पानी भरने की चिंता प्रशासन को होने लगी है। गुरुवार को कलेक्टर नीरजकुमार सिंह ने मंदिर में चल रहे निर्माण कार्यों के अवलोकन के दौरान पानी की निकासी के लिए बनाई व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। बोले कि वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए बारिश का पानी जब तेज होने लगे तो चैंबर के पास कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएं, ताकि वे सही समय पर पानी की निकासी करवा सके व मंदिर के गर्भगृह और आंतरिक परिसर में पानी न आ सके।

कलेक्टर ने यह भी कहा कि अतिरिक्त वर्षा का पानी अंदर आने से रोकने के लिए कुछ स्थानों पर सेंसर लगवाए जाएं। जो पानी का स्तर बढ़ने पर सक्रिय हो जाएं। रुद्रसागर में यदि जल स्तर बारिश के दौरान बढ़ता है तो पंपिंग के माध्यम से निकासी की व्यवस्था की करें। कलेक्टर ने कहा कि श्री महाकालेश्वर मंदिर का अगले 10 सालों का एकीकृत प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि मंदिर का जो भी निर्माण कार्य है, जिनके लिए जो कार्य योजना बनाई गई है, उसे शासकीय अभिलेख में भी विधिवत दर्ज करें। महाकाल महालोक के द्वितीय फेज के निर्माण कार्यों को समय सीमा में पूरा करने के निर्देश भी उन्होंने दिए।

इस दौरान जानकारी दी गई कि नंदी हॉल में नए मार्बल लगाया जाना प्रस्तावित है। कलेक्टर ने महाराजवाड़ा से मंदिर तक जोड़े जाने वाली टनल में चल रहे हैं निर्माण कार्य और भगवान महाकालेश्वर के शिखर दर्शन के लिए बनाए परिसर का अवलोकन भी किया। परिसर में टनल के लिए बनाए डक्ट के आसपास रेलिंग लगाई जाने के निर्देश भी दिए। इस दौरान प्रशासक मृणाल मीना, यूडीए सीईओ संदीप सोनी, निगमायुक्त आशीष पाठक आदि मौजूद रहे।

पिछले साल रात करीब 10:30 बजे भगवान महाकालेश्वर की शयन आरती चल रही थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए मौजूद थे। इसी दौरान हवाओं के साथ तेज बारिश होने लगी। आधे घंटे में ही शहर जगह जगह पानी भर गया। महाकाल मंदिर में भी बारिश का पानी बहने लगा। नंदी हॉल लबालब हो गया। मंदिर की दीवारों और छतों से झरने की तरह बहकर पानी अंदर आने लगा।

इससे पहले 21 जुलाई 2015 को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भी बारिश का पानी भर गया था। सुबह भस्मारती के लिए जब गर्भगृह के पट खोले गए तो यहां पानी भरा था। तय समय पर भस्मारती हुई और इसके बाद पानी खाली किया गया। पड़ताल में पता चला था कि मंदिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ कुंड का पानी भीतरी रिसाव से गर्भगृह तक पहुंचा है।

पूर्व में गर्भगृह तो पिछले साल कुछ ही देर में पानी से लबालब हो गया नंदी हॉल

पिछले साल रात करीब 10:30 बजे भगवान महाकालेश्वर की शयन आरती चल रही थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए मौजूद थे। इसी दौरान हवाओं के साथ तेज बारिश होने लगी। आधे घंटे में ही शहर जगह जगह पानी भर गया। महाकाल मंदिर में भी बारिश का पानी बहने लगा। नंदी हाॅल लबालब हो गया। मंदिर की दीवारों और छतों से झरने की तरह बहकर पानी अंदर आने लगा।

इससे पहले 21 जुलाई 2015 को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भी बारिश का पानी भर गया था। सुबह भस्मारती के लिए जब गर्भगृह के पट खोले गए तो यहां पानी भरा था। तय समय पर भस्मारती हुई और इसके बाद पानी खाली किया गया। पड़ताल में पता चला था कि मंदिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ कुंड का पानी भीतरी रिसाव से गर्भगृह तक पहुंचा है।

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