मालवा का पोहा महाराष्ट्र में भी पहली पसंद बना
उज्जैन | मालवा की शान में उज्जैन पोहा उद्योग में देशभर में अपनी अलग पहचान बना रखी है। करीब 30 फैक्टरी में वह निर्माण किया जा रहा है। इस समय गर्मी होने से इसकी मांग कमजोर है। व्यक्ति बारिश और खासकर ठंड के दिनों में इसकी खपत बढ़ जाती है।
देखा जाए तो देश-विदेश में भैरवगढ़ प्रिंट्स और उज्जैन का पोहा अपनी खास पहचान बन चुका है। कच्चा मटेरियल धान महंगा होने से इस समय होलसेल में 4800 रिटेल में इसके भाव 55 से 58 रुपए किलो हैं। इस साल पोहा निर्माण का धान 500 रुपए क्विंटल महंगा होने से 2900 से 3000 रुपए के भाव बिक रहा है। लेबर महंगा, बिजली की दर अधिक और मंडी टैक्स 1 रुपए 20 पैसे प्रति सैकड़ा होने से पोहा महंगा हो चुका है। उज्जैन का पोहा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में पहुंचता है। पोहा का धान पहले छत्तीसगढ़ तरफ से आता रहा है, अब गुजरात के अहमदाबाद के आसपास के क्षेत्र से मंगवाया जा रहा है।
टैक्स में छूट मिलना चाहिए पोहा उद्योग की रेट नॉमिनल होना चाहिए। धान पर मंडी टैक्स फ्री होना चाहिए। देशभर में अगर उज्जैन का पोहा अपनी पहचान बन चुका तो इस पर अनेक प्रकार के टैक्स से छूट मिलना चाहिए। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यह उद्योग लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ व्यापार का बड़ा केंद्र हो सकता है। जितेंद्र राठी पोहा फैक्टरी संचालक