उज्जैन के लिए 540 करोड़ का एक और सीवरेज प्रोजेक्ट, सिंहस्थ 2028 से पहले होगा पूरा
उज्जैन। धर्मधानी उज्जैन के लिए 540 करोड़ रुपये की एक ओर भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन प्रोजेक्ट तैयार हुआ है। प्रोजेक्ट, अमृत मिशन 2.0 अंतर्गत बनाया है, जिसमें शहर के 54 में से शेष 19 वार्डों में 578 किलोमीटर लंबी 200 से 900 मिलीमीटर व्यास की भूमिगत पाइपलाइन बिछाना, प्रदूषित कान्ह नदी के पानी के उपचार के लिए पिपल्याराघौ गांव और उन्हेल चौराहा स्थित साडू माता की बावड़ी के पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना प्रस्तावित है। कहा गया है कि सिंहस्थ- 2028 से पहले प्रोजेक्ट पूरा करवा लिया जाएगा।
प्रोजेक्ट, उज्जैन नगर निगम से अनुबंधित दिल्ली की कंसल्टिंग फर्म रुद्राभिषेक इंटरप्राइजेस प्राइवेट लिमिटेड (आरइपीएल) ने डेढ़ साल में बनाया है, जिसके बदले फर्म को लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। नगर निगम आयुक्त, आंशिक संशोधन के बाद प्रोजेक्ट की विस्तृत कार्य योजना जल्द ही इसे महापौर परिषद की बैठक में अनुमोदन के लिए रखेंगे।
मालूम हो कि अमृत मिशन 2.0 शुरू करने के लिए केंद्र सरकार ने डेढ़ साल पहले मई- 2022 में 312 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। मंजूरी के बाद डीपीआर बनाना शुरू की गई। इसी के साथ उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के तीन वार्डों (40, 41, 48) में नर्मदा-शिप्रा और गंभीर का पानी 228 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के जरिये घरों तक पहुंचाने, त्रिवेणी नागफनी से गऊघाट जल यंत्रालय तक 750 मिलीमीटर व्यास रा-वाटर पंपिंग मेन पाइपलाइन बिछाने और शंकरपुर एवं हामूखेड़ी क्षेत्र में जल प्रदाय के लिए उपयोगी उच्च स्तरीय पानी की टंकी बनाने को योजना बनाई।
गोवर्धन सागर का सुंदरीकरण 10 करोड़ रुपये रुपये से करने को निविदा दर स्वीकृति की फाइल कई सप्ताह से महापौर मुकेश टटवाल के पास रखी है। साढ़े पांच करोड़ रुपये से विष्णु सागर, एक करोड़ रुपये से पुरुषोत्तम सागर और साढ़े तीन करोड़ रुपये से विक्रम सरोवर का उन्नयन एवं सुंदरीकरण करने को निविदा आमंत्रण की कार्रवाई प्रक्रिया में है।
95 कालोनियों में वाटर सप्लाई के लिए कोई योजना नहीं
देवास रोड, इंदौर रोड और मक्सी रोड से जुड़ी 95 वैध कालोनियों के रहवासी पानी के लिए निजी हैंडपंप, बोरिंग, कुएं पर निर्भर है। वजह, इन कालोनियों में नगर निगम द्वारा पेयजल सप्लाई पाइपलाइन न बिछवाना है। वर्तमान स्थिति ये है कि अब भी निगम पास इन कालोनियों में पेयजल पाइपलाइन बिछाने को ना रुपया है ना कोई योजना।
1600 दिनों में मिशन पूरा करने के निर्देश
केंद्र सरकार ने डेढ़ साल पहले स्वीकृत ड्राफ्ट में शामिल समस्त कार्यों की विस्तृत कार्य योजना (डीपीआर) अगस्त-2022 तक केंद्र को भेजने और डीपीआर स्वीकृत के बाद अगले 1600 दिनों में मिशन पूरा कराने के निर्देश दिए थे। इसके पालन में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आइपीएल फर्म को दो माह में डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे, जो डेढ़ साल में बनकर तैयार तो हो गई है मगर स्वीकृति अब भी नहीं हुई है। प्रोजेक्ट, 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। क्योंकि ये वर्ष तो डीपीआर की तीन स्तर पर स्वीकृति मिलने और फिर निविदा प्रक्रिया करने में ही गुजर जाएगा।
2017 में शुरू हुआ 436 करोड़ का प्रोजेक्ट अब भी अधूरा
साल- 2017 में अमृत मिशन 1.0 अंतर्गत शुरू हुआ 436 करोड़ रुपये का सीवरेज प्रोजेक्ट समयसीमा गुजरने के पांच साल बाद भी अधूरा है। नगर निगम और ठेेकेदार फर्म टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी के बीच तय हुआ था कि टाटा, दो वर्ष (नवंबर 2019 तक) शहर के 54 में से 35 वार्डों में 432 किलोमीटर लंबी भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन और नदी किनारे 15.10 किलोमीटर लंबी ट्रंक मैन पाइपलाइन बिछाकर 60320 घरों में कनेक्शन जोड़ेगी।
सुरासा में 92.5 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। लापरवाही के कारण प्रोजेक्ट पिछड़ता चला गया। अब भी 143 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने, 57951 घरों में सीवेज कनेक्शन जोड़ने, 23579 चेंबर बनाने का काम बाकी है।
टाटा और निगम का दावा है कि 30 जून 2024 तक प्रोजेक्ट पूरा करवा लिया जाएगा, मगर धरातल पर काम की गति को देख प्रतीत होता है कि इस साल भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाएगा। मामले में अब तक निगम के किसी अधिकारी पर विधि सम्मत कार्रवाई नहीं हुई है। टाटा पर भी सिर्फ पेनल्टी लगाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार अभी टाटा का 8 करोड़ 40 लाख रुपये का बिल रोक रखा है और 4 करोड़ 11 लाख रुपये की पेनल्टी लगा रखी है।