राष्ट्र को जोड़ें का नारा दिया, बोले- कुछ बिंदुओं को समझना जरूरी, समझना और समझाना चलता रहेगा
भाजपा ने बुधवार को राज्यसभा चुनाव के लिए चार उम्मीदवारों की घोषणा की। उनमें एक हैं राष्ट्रीय संत बाल योगी उमेश नाथ महाराज। भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा- मैं राज्यसभा की एबीसीडी नहीं जानता हूं। सुबह पूजन के दौरान कुछ लोग बधाई देने आए, तब पता चला कि उनका नाम राज्यसभा चुनाव के लिए चुना गया है। वह कहते हैं पद की गरिमा बनी रहे, सामाजिक समरसता और धर्म के लिए इसी तरह काम करता रहूंगा। सबके लिए अच्छा ही करूंगा। कुछ बिंदुओं को समझना अति आवश्यक है, इसलिए समझना और समझाना चलता रहेगा।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के करीबी रहे उमेशनाथजी महाराज को भाजपा ने राज्यसभा का टिकट बनाकर बड़ा कार्ड खेला है। उमेशनाथ महाराज वाल्मीकि समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस शासनकाल में इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। 8 राजकीय सम्मान भी मिल चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक उनका आशीर्वाद लेने आ चुके हैं। उमेशनाथ महाराज का जन्म 1964 में रतलाम जिले के जावरा में हुआ था। धर्म के प्रति लगाव देखते हुए पिता हरिराम और माता कमलादेवी ने उन्हें 5 साल की उम्र में ही राजस्थान के गोगामेड़ी गोरखनाथ टीले के संत गोरखनाथजी को सौंप दिया। यहीं उमेशनाथ ने सनातन शिक्षा ग्रहण की, तभी से संन्यासी जीवन जी रहे हैं।
उन्होंने दिल्ली से समाज शास्त्र में एमए किया है। पढ़ाई के दौरान ही दिल्ली के रामलीला मैदान से समरसता का पहला बिगुल बजाया और जाति, पंथ, संप्रदाय तोड़ें.. राष्ट्र को जोड़ें का नारा दिया। संत उमेशनाथजी ने 35 साल पहले राजस्थान से उज्जैन आकर हरीशचंद्र टीले को अपना मुकाम बनाया। टीले का नामकरण वाल्मीकि धाम किया। बाल योगी संत उमेशनाथ महाराज 1992 से अब तक 8 प्रांतों के राजकीय अतिथि रह चुके हैं। उन्हें मध्यप्रदेश और राजस्थान के प्रथम राजकीय अतिथि का दर्जा प्राप्त है। भारत और विदेश दोनों जगह बड़े पैमाने पर यात्राएं की हैं।