हरिद्वार की तर्ज पर शिप्रा नदी में स्थापित करें मां शिप्रा की प्रतिमा, घाटों का विस्तारीकरण हो
सिंहस्थ 2028 के लिए प्रशासनिक तैयारियों के बीच प्रबुद्ध भी आगे आए हैं। मंगलवार को सिद्धाश्रम, रामघाट पर आश्रम संस्थापक, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति सदस्य के साथ तीर्थ पुरोहितों ने इस पर मंथन किया। विचार-विमर्श के दौरान उन्होंने अपने-अपने सुझाव भी दिए। इनका खाका बनाकर शासन, प्रशासन और सिंहस्थ की तैयारी में जुटे जनप्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा।
विचारों का समावेश कर मुख्यमंत्री को भेजेंगे प्रबुद्धों ने बताया कि सिंहस्थ 2028 के लिए की जा रही तैयारियों के लिए जो भी सुझाव आए हैं। उनका व्यवस्थित समावेश कर उन्हें जिला, संभाग प्रशासन, राज्य सरकार, सिंहस्थ कार्यालय और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा को भेजा जाएगा।
शिप्रा : पर्व के दौरान स्नान का सबसे ज्यादा महत्व है। ऐसे में सबसे पहले शिप्रा को प्रवाहमान बनाया जाना चाहिए। हरिद्वार की तर्ज पर शिप्रा नदी में मां शिप्रा की प्रतिमा स्थापित की जाना चाहिए। आरती : रामघाट पर आयोजित की जा रही संध्या आरती को विशाल स्तर प्रदान करने की जरूरत है। देश, विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को रामघाट पर इस आरती में सम्मिलित करने का प्रयास किया जाए। घाटों का विस्तार : सिद्धनाथ, अंगारेश्वर, कालभैरव, मंगलनाथ, ऋणमुक्तेश्वर, ओखलेश्वर श्मशान, दुर्गादास की छतरी आदि स्थानोंे से सटे घाटों का विस्तारीकरण किया जाना चाहिए।
राम दरबार : रामघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए राम दरबार का विशाल निर्माण किया जाना चाहिए। वहां इस संबंध में जानकारी का बोर्ड भी लगाया जाए कि इसका पौराणिक महत्व क्या है। द्वार : हरसिद्धि चौराहा और रामघाट पहुंच मार्ग पर विशाल द्वार बनाया जाए। इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को जानकारी पता चल सकें। साथ ही द्वार से संबंधित स्थानों की भव्यता का पता लगे।
सौंदर्यीकरण : नृसिंह घाट के सामने शिप्रा के बीच में स्थित टीले का संरक्षण कर सौंदर्यीकरण किया जाए, ताकि सिंहस्थ के पहले और उस दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को नवीन स्थान का लाभ मिल सके। सिंहस्थ 2028 को लेकर आयोजित ब्रह्मोत्सव गोष्टी में सहभागिता करते प्रबुद्ध।