गायत्री मंत्र के साथ बच्चे-बड़ों ने किया ब्राह्मी का सेवन
उज्जैन में माघ कृष्ण चतुर्दशी के विशेष मुहूर्त पर गायत्री शक्तिपीठ परिसर में ब्राह्मी(जड़ी बूटी) सेवन करने के लिए छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग तक मौजूद थे। सुबह से मंत्रोच्चार के बीच ब्राह्मी का काढ़ा बनाने की प्रक्रिया में टोली के सदस्य जुटे हुए थे। दोपहर बाद तैयार हुए ब्राह्मी के काढ़े को गायत्री मंत्रोच्चार के साथ सेवन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग शक्तिपीठ पहुंचे।
माघ महिने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ब्राह्मी पीने का विशेष मुहूर्त होता है। गायत्री शक्तिपीठ पर गुरूवार को दोपहर 2: 45 से 5 बजे तक ब्राह्मी का सेवन कराया गया। गायत्री शक्तिपीठ के जिला समन्वयक व प्रचार प्रसार सेवक देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया शक्तिपीठ पर प्रतिवर्ष ब्राह्मी का सेवन कराया जाता है। शहर के जड़ी बूटी विशेषज्ञ जेपी चतुर्वेदी, योगाचार्य नारायण स्वामी, उपझोन प्रभारी महेश आचार्य के निर्देशन में गायत्री परिवार के सदस्यों ने ब्राह्मी के पौधे को सफाई कर पीसकर अग्रि पर उबालने के बाद पेय तैयार किया। तीन घंटे की प्रक्रिया के बाद तैयार ब्राह्मी का काढ़ा गायत्री मंत्रोच्चार के साथ बच्चों और बड़ों को पीने के लिए वितरित किया गया। ब्राह्मी मस्तिष्क संबंधित औषधि है। इसका उपयोग बुद्धि बढ़ाने के साथ कई रोगों मिर्गी, लकवा के साथ ही ब्राह्मी सेवन बच्चे व विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होता है।
इसके अलावा विशेषज्ञों की देखरेख में छोटे बच्चों से लेकर बड़े व्यक्ति तक को सेवन कराया जाता है। यह एक बारहमासी जड़ी-बूटी है। ब्राह्मी जलीय स्थानों जैसे कि नदी नालों और नहर के किनारों पर या उनके आसपास पाया जाता है। स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है। ब्राह्मी का स्वाद फीका और तासीर ठंडी होती है।