कालिदास अकादमी में हीर-रांझा की प्रेम कथा के साथ तीन दिनी नाट्य समारोह की शुरुआत
कालिदास संस्कृत अकादमी के अभिनव रंगमंडल की अगुवाई में केंद्रित तीन दिवसीय नाट्य समारोह का शुभारंभ गुरुवार शाम 7 बजे से हीर-रांझा की प्रेम कथा नाटक से हुआ। पंजाब के महत्वपूर्ण रंग हस्ताक्षर, संगीत नाटक अकादमी पंजाब के अध्यक्ष केवल धालीवाल पर केंद्रित आयोजन मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की सहभागिता में किया जा रहा है।
शरद शर्मा ने बताया कि तीन दिवसीय नाट्य समारोह का शुभारंभ गोविंद गंधे, गोपाल शर्मा, पिलकेंद्र अरोरा, कांग्रेस नेता मनोहर बैरागी, अध्यक्ष धालीवाल ने दीप प्रज्वलन कर किया। वारिस शाह असल मायनों में एक दार्शनिक होने के साथ एक फकीर भी थे। एक ऐसे शायर भी थे, जिन्होंने प्रेम, समर्पण और भक्ति की रचनाओं से एक विशिष्ट परंपरा को स्थापित किया। जिसकी एक खूबसूरत मिसाल है, हीर-रांझा की प्रेम कथा। इतने दशकों बाद भी पाठकों और दर्शकों को इस कथा ने मंत्रमुग्ध कर दिया। वारिस शाह के काल में सामंतवाद का ही बोलबाला था, जिसमें रांझा एक क्रांतिकारी नायक की तरह उभरा, जिसे न हुकूमत की परवाह थी, न खुद की। इश्क की जमी पर उसने जो बगावत के बीज बोए, उनसे तत्कालीन समाज में रचनात्मक परिवर्तन आया। हीर-रांझा की इस प्रेम कहानी को नाट्य रूप में मंच पर प्रस्तुत किया। इसके आलेख की विशेषता उर्दू और पंजाबी का अद्भुत मिश्रण था। कैफी आजमी द्वारा लिखित फिल्म हीर-रांझा से भी प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।