मौनतीर्थ में नए वर-वधू कर रहे महायज्ञ की सात परिक्रमा
उज्जैन | मंगलनाथ मंदिर मार्ग पर गंगाघाट स्थित श्री मौनतीर्थ पीठ परिसर में इन दिनों नए वर-वधू 108 वर्षीय अखंड महायज्ञ की परिक्रमा कर रहे हैं। मौनतीर्थ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉ. सुमनानंद गिरि ने बताया कि यह यज्ञ दुर्लभ और दिव्य त्रिजुगीनारायण की अग्नि से हो रहा है। त्रिजुगीनारायण की अग्नि से होने वाले यज्ञ की केवल सात परिक्रमा करने मात्र से मनुष्य का वैवाहिक एवं दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
त्रिजुगीनारायण वह अग्नि है, जिसकी साक्षी में देवाधिदेव भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। भगवान शिव और पार्वती का विवाह भी इसी त्रिजुगीनारायण अग्नि की साक्षी में हुआ था, इसलिए इस दिव्य अग्नि में 108 या 11 आहुति अवश्य देना चाहिए। अगर मनुष्य व्यस्तताओं के कारण यज्ञ न कर सके, उसमें आहुतियां न दे सकें तो कम से कम उस यज्ञ की सात परिक्रमा अवश्य करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। श्री मौनतीर्थ पीठ परिसर में हो रहा यज्ञ अखंड 108 वर्षों तक निरंतर चलेगा। मौन साधक, जीवन पर्यंत मौन में लीन होकर भक्ति करने वाले संत ब्रह्मर्षि श्रीश्री मौनीबाबाजी महाराज स्वयं त्रिजुगीनारायण अग्नि को लेकर उज्जैन आए थे और 108 वर्षीय अखंड महायज्ञ आरंभ किया था। आज भी यह यज्ञ प्रतिदिन हो रहा है।