प्रदेश में पहली बार निगम के बुलडोजर पर भारी पड़ा कोर्ट का फैसला
क्रिमिनल पर सख्त कार्रवाई का हवाला देकर मकान को अवैध बताकर ढहाने की कार्रवाई के एक मामले में हाईकोर्ट ने पीड़ित को दो लाख का मुआवजा देने के निगम को आदेश दिए हैं। साथ ही आदेश में यह भी कहा है कि जिन अधिकारियों ने कार्रवाई को अंजाम दिया उनके ऊपर कार्रवाई करें।
वरिष्ठ अभिभाषक तहजीब खान व सहयोगी रवि शर्मा के मुताबिक पुलिस के साथ मिलकर नगर निगम के अधिकारियों ने सांदीपनी नगर स्थित मोंटू गुर्जर के मकान को ढहाने की अवैधानिक कार्रवाई की थी। मामले में हाईकोर्ट ने निर्णय देते हुए पीड़ितों को 2 लाख का मुआवजा और निगम अफसरों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।
अभिभाषक रवि शर्मा ने बताया कि जनवरी 2023 में पुलिस के साथ मिलकर निगम के अफसरों ने सांदीपनी नगर में मकान को गिरा दिया था। यह मकान मोंटू की पत्नी राधा लांगरी के नाम रजिस्टर्ड है और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में है लेकिन अधिकारियों ने एक दिन पहले शाम को राधा के घर पर रइसा बी के नाम से नोटिस चस्पा किया और अगले दिन जेसीबी के साथ पुलिस आई और पूरे घर को ध्वस्त कर दिया।
अभिभाषक ने बताया कि पुलिस के दबाव में निगम अधिकारियों ने गलत कार्रवाई की। राधा के नाम लोन भी है। उसी के नाम मकान है लेकिन दूसरे के नाम का नोटिस लगाकर मकान तोड़ दिया। जबकि नोटिस में स्पष्ट करना चाहिए कि मकान का कितना हिस्सा अवैध है और नोटिस देने की भी प्रक्रिया है। इसका भी निगम के अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया गया।
अभिभाषक रवि शर्मा के मुताबिक पुलिस और निगम अधिकारियों ने जिस मकान को ध्वस्त किया उस पर बैंक का लीगल लोन भी है और किसी भी मकान को ढहाया नहीं जा सकता। इसके लिए संबंधित को नोटिस देकर कंपाउंडिंग की प्रक्रिया भी होती है वह भी जमा कराने के लिए कहा जाता है लेकिन निगम अफसरों ने किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया और गलत तरीके से पूरे मकान को ही तोड़ दिया।