व्यक्ति का आंकलन कद से होना चाहिए
व्यक्ति के जीवन का आकलन पद से नहीं कद से होना चाहिए। कम से कम साहित्यिक बिरादरी में तो इसकी उम्मीद की ही जा सकती है। साहित्यकार, रंगकर्मी और कला समीक्षक अशोक वक्त एक मिसाल है जो भले ही किसी बड़े पद पर न रहे हों लेकिन उनका कद इतना ऊंचा था कि वह निराला नागार्जुन मुक्तिबोध अज्ञेय और सुमन जी जैसे साहित्यकारों पर उज्जैन में बैठकर चिंतन मनन और विचार-विमर्श किया करते थे।
यह उद्गार वक्ताओं ने साहित्यकार अशोक वक्त को याद करते हुए व्यक्त किए। नगर की साहित्यिक संस्थाओं की ओर से आयोजित संयुक्त श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने की। डॉ. शिव चौरसिया ने कहा स्मरण व्यक्ति का नहीं उसके कार्यों का होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे विधाता की सर्वश्रेष्ठ कृति बनाते हैं। लेखक पं. राजशेखर व्यास ने कहा अशोक जी उच्च कोटि के वक्ता, लेखक और समीक्षक थे। नाट्य निर्देशक शरद शर्मा ने कहा वक्त ने अपने आरंभिक दिनों में रंगकर्म के जो प्रयोग शुरू किए थे, आज उज्जैन की समृद्ध रंगकर्म परंपरा उसी के इर्द-गिर्द घूम रही है। सेवाधाम आश्रम के सुधीर भाई ने कहा वे साफ दिल के स्पष्टवादी इंसान थे।
व्यंग्यकार शांतिलाल जैन ने सुझाव दिया कि हिंदी के पाठकों और प्रबुद्ध समाज के लोगों को ऐसी विभूतियां के स्मरण कार्यक्रम के लिए आगे आना चाहिए जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से समाज को कुछ दिया है। डॉ. पिलकेंद्र अरोरा, संतोष सुपेकर, डॉ. पंकजा सोनवलकर, आशीष श्रीवास्तव, डॉ. उर्मि शर्मा, डॉ. श्रीकृष्ण जोशी, हरिहर शर्मा, शशिभूषण और अशोक भाटी आदि ने भी संबोधित किया। परिवार की ओर से सीमा जोशी और डॉ. पांखुरी वक्त ने गीत कविताओं के माध्यम से अशोक वक्त को याद किया।