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रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, सड़कें बनीं...मगर शिप्रा रह गई मैली


उज्जैन Lok Sabha Elections 2024। राजा महाकाल की नगरी के रूप में विश्व प्रसिद्ध उज्जैन शहर राजनीतिक हलचल के लिए भी खूब जाना जाता है। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव भी यहीं से हैं। उज्जैन लोकसभा सीट की सीमा रतलाम जिले के आलोट तहसील तक है इसलिए इसे उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र भी कहा जाता है। यहां से भाजपा सांसद अनिल फिरोजिया को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता स्व. भूरेलाल फिरोजिया जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे तीन बार विधायक रहे।पिता से मिली विरासत को आगे बढ़ाते हुए अनिल फिरोजिया ने वर्ष 2013 में अपना पहला विधानसभा चुनाव तराना सीट से लड़ा और जीता। यहीं से वर्ष 2018 में मिली हार ने अनिल फिरोजिया को चौंकाया। हालांकि कुछ ही महीनों बाद मई, 2019 में अनिल फिरोजिया ने लोकसभा चुनाव जीत लिया।अनिल फिरोजिया के कार्यकाल में कुछ बड़े विकास कार्य केवल कागजों तक ही सीमित रह गए। पवित्र नदी शिप्रा शुद्धीकरण के लिए प्रयास हुए, मगर नतीजे तक नहीं पहुंच पाए। नमामी गंगे मिशन के तहत इसके शुद्धीकरण के लिए चर्चा चली, मगर कुल जमा शिप्रा अब भी मैली है। इसी तरह शिप्रा नदी पर सेवरखेड़ी गांव में बांध बनवाने, उज्जैन में लाजिस्टिक पार्क, एयरपोर्ट, जावरा-पीथमपुर वाया नागदा-उन्हेल- उज्जैन फोरलेन सड़क मार्ग बनाने और आगर -झालावाड़ तक रेल लाइन बिछाने का काम अधूरा रहा।सांसद निधि का 95 प्रतिशत उपयोग का दावा
अनिल फिरोजिया ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) यानी सांसद निधि का भरपूर उपयोग किया। उनका दावा है कि करीब 95 प्रतिशत निधि का उपयोग संसदीय क्षेत्र के विभिन्न कार्यों में किया जा चुका है। शेष राशि के लिए कई प्रस्ताव तैयार हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी, पेयजल, सड़क, सामुदायिक भवन आदि के लिए यह राशि खर्च की गई है।पांच गांव गोद लिए, जल जीवन मिशन के काम अधूरे
अनिल फिरोजिया ने पांच गांव कनार्दी, बिछड़ौद खालसा, ढाबलाहर्दू, कालूखेड़ा और पानबिहार को गोद लिया। हर वित्तीय वर्ष में एक गांव गोद लिया। सांसद का दावा है कि यहां कई विकास कार्य हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि काम तो हुए हैं, मगर बाकी भी बहुत हैं। पंचायत भवन, पुलिया, स्ट्रीय लाइट, आवास योजना सहित केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन से जुड़े कार्य अभी पूरे नहीं हो पाए हैं। इन गांवों में विकास कार्यों को आगे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
कार्यकाल की ये उपलब्धियां
-उज्जैन-देवास, उज्जैन-झालावाड़, उज्जैन-बड़नगर-बदनावर, उज्जैन-गरोठ फोरलेन सड़क का निर्माण।
-उज्जैन रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट जैसा बनवाने के लिए 850 करोड़ रुपये स्वीकृत करवाए।
-उज्जैन में 284 करोड़ रुपये की लागत का यूनिटी माल और 175 करोड़ की लागत वाले रेलवे प्रशिक्षण केंद्र की नींव रखी जा चुकी है।
-503 में से 116 गांवों में जल जीवन मिशन अंतर्गत हर घर पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाई गई।परिचय
अनिल फिरोजिया
भाजपा
वर्ष 2019 में पहली बार सांसद बने। इसके पहले वे वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक तराना से विधायक थे।
उज्जैन विकास प्राधिकरण संचालक मंडल में उपाध्यक्ष रहे
संसद में उपस्थिति : 80 प्रतिशत
संसद की बहस में भाग लिया : 40 बार
संसद में प्रश्न पूछे : 290
चार समितियों में सदस्य
- खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण समिति,
-अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण समिति,
-विदेश मामलों की सलाहकार समिति,
-सार्वजनिक उपक्रमों की समिति।
गडकरी के कहने पर कर लिया वजन कम
अनिल फिरोजिया पांच वर्ष में तीन बार चर्चाओं का केंद्र बने। पहली बार वर्ष 2020 में जब दिल्ली की एक सर्वे एजेंसी ने कोरोना संक्रमण काल में जनसेवा कार्यों के लिए उन्हें देश का सबसे सक्रिय सांसद घोषित किया था। दूसरी बार वर्ष 2022 में अनिल फिरोजिया तब चर्चा में आए जब वे अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे। उस वक्त उनकी बेटी आहना ने प्रधानमंत्री से कहा था कि मैं आपको जानती हूं, आप लोकसभा में काम करते हैं।
तीसरी बार केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की चुनौती को स्वीकार कर उसे पूरा किया। दरअसल, नितिन गडकरी ने मजाकिया लहजे में अनिल फिरोजिया को वजन कम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि वे जितना किलो वजन कम करेंगे उतने हजार करोड़ रुपये वह संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए देंगे। इस पर अनिल फिरोजिया ने सात महीनों में अपना वजन 32 किलो तक कम कर लिया था। नितिन गडकरी ने वादा निभाया और उज्जैन संसदीय क्षेत्र के लिए 2300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे।

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