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कितना जादू चलेगा ओपीएस का


चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार

कांग्रेस के पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के वादे का प्रदेश के पांच लाख से अधिक शासकीय कर्मचारी किस तरह स्वागत करेंगे यह तो चुनाव परिणाम से ही पता चलेगा लेकिन इस घोषणा का कांग्रेस को राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने में लाभ मिल चुका है इससे समझा जा सकता है कि मप्र में यह वादा गुल खिला सकता है।

जहां तक भाजपा का सवाल है उसने शासकीय कर्मचारियों पर अपना जादू चलाने के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि सहित अन्य घोषणाएं करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन शासकीय कर्मचारी और उनके परिजन यह भी जानते हैं कि ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) से भाजपा सरकार आंख चुराती रही है। केंद्र की मोदी सरकार ओपीएस को पुन: लागू करने की अपेक्षा एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) में कर्मचारियों को आर्थिक लाभ के बेहतर विकल्प देने का एलान कर चुकी है लेकिन ये घोषणाएं देश भर के शासकीय कर्मचारियों को एनपीएस ने वाकई प्रभावित किया होता तो इसी महीने की शुरुआत में दिल्ली के रामलीला मैदान में 'नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के बैनर तले ‘पेंशन शंखनाद महारैली' का आयोजन नहीं करना पड़ता।शासकीय कर्मचारी एनपीएस के खिलाफ इसलिए भी हैं कि उन्हें अपना और परिचनों का भविष्य सुरक्षित नहीं लगता है।
अब जब कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में ओपीएस को लागू करने की घोषणा कर दी है तो भाजपा के दृष्टिपत्र में भी शासकीय कर्मचारियों को खुश करने का रास्ता निकालना तय है। 

शासकीय कर्मचारियों की फिलहाल भाजपा से नाराजी की वजह यह भी है कि शिवराज सरकार ने हाल ही में 2004-2005 बैच के पांच आईएएस को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने का निर्णय किया है।सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने आईएएस हैं- जॉन किंगस्ली एआर, रघुराज एमआर, राहुल जैन, जीवी रश्मि और संजीव सिंह। इन अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए केंद्र से ओपीएस की मांग की थी। जीएडी ने केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के 13 जुलाई 2023 को जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए मंजूर किया है।

ओपीएस के लिए लड़ाई लड़ रहे संगठन ‘कर्मचारी मंच’ के प्रदेशाध्यक्ष अशोक पांडे ने मुख्य सचिव को पत्र में लिखा है कि ओपीएस के मामले में शासन दोहरे मापदंड अपना रहा है। नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में आने वाले सभी 5 लाख कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल किया जाए।

कर्मचारी मामलों के जानकार व हाई कोर्ट के एडवोकेट अमित चतुर्वेदी बताते हैं यदि पदों के लिए चयन प्रक्रिया जनवरी 2004 के पूर्व से चल रही हो और नियुक्ति 2004, 2005 या उसके बाद हुई हो तो ओल्ड पेंशन की पात्रता के दायरे में आ सकते हैं। स्टेट कैडर के आईएएस के वेतन भत्ते और पेंशन राज्य शासन ही देता है।
ओपीएस में कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती, लेकिन नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से 10 फीसदी कटौती होगी।जिसे बाद में पेंशन के रूप में भुगतान किया जाता है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर आधी रकम मिलती थी। जिसके बाद जीवन भर पेंशन के रूप में आय मिलती थी।पुरानी पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड की भी सुविधा है, जो नई पेंशन स्कीम में नहीं है।
पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन की राशि सरकारी खजाने से दी जाती थी. लेकिन नई पेंशन स्कीम में पेंशन शेयर बाजार पर निर्भर है. इसलिए रिटायरमेंट के बाद कितनी राशि पेंशन के रूप में मिलेगी इसकी पहले से जानकारी नहीं रहती।पुरानी पेंशन स्कीम में 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी होती है, जो नई पेंशन स्कीम में उपलब्ध नहीं है।

पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी।यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी।इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी।ओपीएस को 1 अप्रैल 2004 में बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना  (एनपीएस)से बदल दिया गया है।अपने आर्थिक हितों पर कुठाराघात मान कर तभी से कर्मचारी संगठन निरंतर आंदोलन कर केंद्र सरकार पर ओपीएस को पुन: लागू करने का दबाव बना रहे हैं। इस स्‍कीम  के जरिये रिटायरमेंट  के बाद मेडिकल भत्‍ता और मेडिकल बिलों की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी जाती  है।इस स्कीम में रिटायर्ड हुए कर्मचारी  को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम दी जाती है। अब तक राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड, कर्नाटक सरकारें ओपीएस को लागू कर चुकी हैं। अब मप्र चुनाव में भी कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने और बड़े वोट बैंक लाखों कर्मचारियों को प्रभावित करने में लग गई है।

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