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अगले सीएम से पहले एमपी को मिल सकते हैं नये सीएस


चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार

प्रदेश के आम मतदाता को तो 3 दिसंबर को ही जवाब मिलेगा कि अगली सरकार, अगला सीएम कौन होगा? रही प्रदेश के प्रशासनिक खेमे की बात तो उसे पहले ही पता चल सकता है कि प्रदेश में उनका अगला मुखिया कौन होगा? वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को दूसरी बार मिले छह माह के एक्सटेंशन की अंतिम तारीख 30 नवंबर ज्यादा दूर नहीं है। अगले पखवाड़े तक साफ हो जाएगा कि उनकी जगह कौन लेगा-दिक्कत यह भी है कि प्रदेश में चल रही चुनावी सरगर्मी के चलते कौन यह दायित्व संभाले इसे लेकर खुद दावेदार अधिकारी भी पशोपेश में हैं। अगला सीएस बनने से पहले ये अधिकारी यह देखना चाहते हैं कि अगला सीएम कौन होगा? 
                  मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस छह माह के एक्सटेंशन की दूसरी अवधि पूरी कर पाएंगे? शिवराज सरकार द्वारा 30 नवंबर के बाद उन्हें फिर से छह माह का एक्सटेंशन देने के आवेदन को केंद्र सरकार आसानी से अनुमति दे पाएगी? ये सारे प्रश्न मप्र से लेकर दिल्ली तक के प्रशासनिक गलियारों में इसलिए तैर रहे हैं क्योंकि इकबाल सिंह बैंस के ही दोस्त और कांग्रेस नेता राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा ने सीएस को एक्सटेंशन देने के मामले में शिवराज सरकार की उदारता की सप्रमाण शिकायतें लोकायुक्त से लेकर चुनाव आयोग तक कर रखी हैं।ऐसी सारी शिकायतों का 30 नवंबर तक निराकरण चुनाव आयोग को करना ही होगा, इसकी वजह यह कि छह माह वाली दूसरी सेवा वृद्धि का अंतिम दिन 30 नवंबर है।उन्हें तीसरी बार सेवावृद्धि देने का आवेदन केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को मप्र सरकार भेज चुकी है। 
                   ऐसा होने पर अगले साल के शुरुआती महीनों में भी मुख्य सचिव वे ही रह सकते हैं।रही नई सरकार के गठन की बात तो 4-5 दिसंबर 23 तक प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य स्पष्ट हो जाएगा।कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में जैसे 2018 में सत्ता सम्हालने के बाद किसानों की ऋण माफी का पहला आदेश जारी किया था।तो इस बार पहला आदेश सीएस की विदाई का जारी करेगी सरकार।और यदि मप्र में पुन: भाजपा की सरकार बनती है तो इकबाल सिंह बैंस के लिए आगे भी सब अच्छा ही अच्छा है।
                   इकबाल सिंह बैंस का रिटायरमेंट 30 नवंबर 2022 को हुआ था। तब तक राज्य सरकार ने किसी और अधिकारी को मुख्य सचिव के तौर पर नहीं चुना था। जिस दिन बैंस रिटायर हो रहे थे, उसी दिन छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं इकबाल सिंह बैंस के एक्स्टेंशन को लेकर प्रयास किए थे। पंजाब में 13 नवंबर 1962 को जन्मे इकबाल सिंह बैंस की आईएएस में सिलेक्शन के बाद पहली पोस्टिंग जनवरी 1993 में सीहोर में हुई थी, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला भी है। इसी जिले की बुधनी सीट का प्रतिनिधित्व शिवराज विधानसभा में करते हैं। बैंस को अगस्त 1993 में गुना कलेक्टर बनाया गया था। इसके बाद वे भोपाल कलेक्टर बने थे। वे गुना और सीहोर में भी कलेक्टर रहे। 1999 और 2000 में लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट में जॉइंट चीफ इलेक्टोरल डायरेक्टर बनाए गए थे। मुख्य सचिव बनने से पहले बैंस कृषि, उद्यानिकी, ऊर्जा, विमानन, आबकारी आयुक्त , पंचायत एवं ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य जैसे विभाग संभाल चुके हैं। साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव, प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव भी रहे हैं। 
                 1993 से 2023 तक के दौरान चौहान और बैंस की जुगलबंदी का ही परिणाम रहा है कि सरकार की हर सफलता के साथ विफलता को भी उपलब्धियों में बदलने में बैंस के प्रशासनिक अनुभव का हर स्तर पर सरकार को लाभ मिलता रहा है।सरकारी योजनाओं से आमजन में सरकार के प्रति जो विश्वास मजबूत हुआ है वह बैंस और उनके विश्वस्त कलेक्टरों और फिल्ड में पदस्थ उनके प्रिय अधिकारियों से ही संभव हो सका है। ऐसा नहीं कि प्रदेश में एक्सटेंशन पाने वाले इकबाल सिंह पहले सीएस हैं। उनसे पहले अन्य चार सीएस को भी एक्सटेंशन मिल चुका है। इकबाल सिंह बैंस को दो बार-एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 (दो एक्सटेंशन)। उनसे पहले बीपी सिंह  को 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2018 तक, आर परशुराम  को 2012-13 में 6 माह। हरीश खन्ना को 1989-90 में 4 महीने तथा आरपी कपूर  को 1990-91 में 6 माह एक्सटेंशन मिल चुका है। 
               एक तरफ उनकी उपलब्धियां जहां सरकार में उनका विश्वास बढ़ाती रहीं तो दूसरी तरफ वे विपण के निशाने पर भी बने रहे हैं। केंद्र सरकार जब ईडी के डायरेक्टर संजय मिश्रा को बार बार सेवावृद्धि देने के कारण सुप्रीम कोर्ट की फटकार के आगे लाचार हो गई उसके बाद से मप्र सरकार के सीएस प्रेम पर कांग्रेस भी आक्रामक हो गई है। 
चुनाव आयोग ने 2 जून को आदेश जारी किया था कि प्रतिनियुक्ति और संविदा वाले अधिकारियों को चुनाव कार्य में ना लगाया जाए।इस आदेश का हवाला देकर ही राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा चुनाव आयोग को शिकायत कर चुके हैं। सीएस के एक्सटेंशन की अवधि 30 नवंबर को समाप्त होना है। इससे पहले पीएमओ मामले को चुनाव आयोग को भेजती है तो आयोग अगले सीएस के लिए तीन नामों का पैनल भेजने का निर्देश राज्य सरकार को दे सकता है।
              अगले सीएस के लिए वरिष्ठतम आईएएस वीरा राणा, अनुराग जैन, मो सुलेमान, डॉ राजेश राजोरा के नाम चल रहे हैं लेकिन इनमें से कोई भी मन से तैयार नहीं है कि चुनावी सरगर्मी वाली अवधि में राज्य के सीएस वाला दायित्व संभाले।अनुराग जैन केंद्र में हैं वो आना नहीं चाहते। एसीएस वीरा राणा सबसे वरिष्ठ हैं लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर मों सुलेमान अगले सीएस हो सकते हैं। यदि पुन: भाजपा सत्ता में आती है तो डॉ राजेश राजोरा के लिए सीएस की कुर्सी इंतजार करेगी।

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