श्रावण मास की सवारी में भारतीय संस्कृति की राजसी वेष भूषाओं से श्री महाकालेश्वर का अभिनंदन
उज्जैन राजा महाकाल की सवारी का अपना इतिहास है लेकिन इस इतिहास के कई स्तम्भ है जो सवारी को यादगार बनाते है उसमे सबसे अहम पल है सवारी में निकलने वाले ऐसे कुछ चुनिंदा लोग जो अपने पहनावे से अपनी अलग पहचान रखते है उज्जैन के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शैलेन्द्र व्यास पेशे से एक शिक्षक है लेकिन उज्जैन में उनकी अलग पहचान है जिन्हे लोग स्वामी मुस्कुराके के नाम से भी जानते है वे भारतीय संस्कृति, सनातन इतिहास के विभिन्न राज शाही में रूपों का प्रदर्शन श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में मुस्कुराके मंडली द्वारा हर साल किया जाता है । लगातार 34 वर्षों से भारतीय संस्कृति के मुस्कुराते इंद्र धनुषीय रूपों, राजसी धरोहरों को युवा तरुणाई एवम उत्सव धर्मियों को प्रदर्शित करते आ रहे है।स्वामी मुस्कुराके, शैलेंद्र व्यास ने विशेष जानकारी देते हुए बताया कि राजसी वेषभूषाओं के लिए गुजरात, सूरत से वस्त्र एवं महाराष्ट्र मुंबई से पगड़ी बनवाई गयी है। जिसने सांस्कृतिक, पौराणिक व देशभक्ति के ऐतिहासिक महान व्यक्तित्वों को दस विभिन्न सवारी में आज के सामयिक विषय बेटी बचाओं, सद .. भावना, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत, वंदे मातरम, महाकाल लोक, जय हिंद, तिरंगा ध्वज, नागराज, बाहुबली, लंकेश, मयूर, त्रिशूल, डमरू आदि के द्वारा वे समाज में एक स्वस्थ एवं स्वच्छ मेसेज देना चाहते है
साथ सांस्कृतिक प्रदर्शन किया जाएगा। मुस्कुराके मंडली में स्वामी खिलखिलाके (मनोहर गुप्ता नायक), स्वामी दिल मिलाके (पंडित दिनेश रावल), स्वामी लहराके (मोहित गेहलोत) गरिमा मय रूप में मनोहारी प्रस्तुति प्रदान करेंगे
व्यक्तित्वों को दस विभिन्न सवारी में आज के सामयिक विषय बेटी बचाओं, सद .. भावना, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत, वंदे मातरम, महाकाल लोक, जय हिंद, तिरंगा ध्वज, नागराज, बाहुबली, लंकेश, मयूर, त्रिशूल, डमरू आदि के