top header advertisement
Home - उज्जैन << आज प्रजा का हाल जानने के लिए निकलेंगे महाकालेश्वर,क्या है उज्जैन बाबा की सवारी का इतिहास आईये जानते है

आज प्रजा का हाल जानने के लिए निकलेंगे महाकालेश्वर,क्या है उज्जैन बाबा की सवारी का इतिहास आईये जानते है


उज्जैन कालो के काल महाकाल की नगरी में भक्तो का इन्तजार ख़त्म हो रहा है आज शाम 4 बजे भगवान महाकाल शहर भ्रमण पर निकलेंगे। पहली सवारी में भगवान श्री मनमहेश के रूप में दर्शन देंगे। पुरे भारत में सिर्फ उज्जैन में ऐसा होता है की पहले पुलिस बैंड और सशस्त्र बल की टुकड़ी भगवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देती है । इसके पश्चात सवारी महाकाल से निकलती है वर्षो पुरानी परम्परा है गार्ड आफ ऑनर की  सवारी आज गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक, हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुचेगी। शिप्रा नदी पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा महाकाल के अभिषेक-पूजन किया जाएगा। सवारी मेंशामिल होती है भक्त मंडलियां वही अलग अलग वेशभूषा में शामिल होते है लोग जिन्हे देखते ही बनता है 

शाम को  सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी। सावन के प्रत्येक सोमवार को महाकाल राजा की सवारी निकालने का विधान है। इस साल अधिक मास होने से कुल 10 सवारी निकाली जाएंगी। इनमें 8 सवारी सावन महीने और दो सवारी भादों में निकाली जाएंगी।

प्रशासन के सामने भीड़ एक बड़ी चुनौती है 

महाकाल लोक के बाद उज्जैन में जनता की संख्या चार गुना बड़ी है चारो और से भक्त उज्जैन पंहुचते है हवाई मार्ग हो या रोड मार्ग लोगो के आने का सील सिला जारी है. 

महाकाल की सवारी में सबसे बड़ी ख़ास बात उन मंडलियों की है जो पूरी सवारी में लगातार डमरू बजाते है 
पहली सवारी 10 जुलाई, शाही सवारी 11 सितंबर को शाही सवारी की अपनी विशेषता है जिसमे सवारी का भव्य रूप नजर आता है उज्जैन के लिए साही  सवारी एक त्यौहार के रूप में है 

पहली सवारी: 10 जुलाई
दूसरी: 17 जुलाई
तीसरी: 24 जुलाई
चौथी: 31 जुलाई
पांचवीं: 7 अगस्त
छठवीं: 14 अगस्त
सातवीं: 21 अगस्त
आठवीं: 28 अगस्त
नौवीं: 4 सितंबर
10वीं शाही सवारी: 11 सितंबर 
 इन सवारियों की अपनी अलग अलग विशेषताएं भी होती है  

इस परम्परा की शुरुआत ऐसी हुयी एक बार उज्जयिनी के प्रकांड ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण स्व.. पं. सूर्यनारायण व्यास के निवास पर कुछ विद्वजन के साथ कलेक्टर बुच भी बैठे थे। उनमें महाकाल में वर्तमान पुजारी सुरेन्द्र पुजारी के पिता भी शामिल थे। आपसी विमर्श में परस्पर सहमति से तय हुआ कि क्यों न इस बार श्रावण के आरंभ से ही सवारी निकाली जाए और समस्त जिम्मेदारी सहर्ष उठाई कलेक्टर बुच ने। सवारी निकाली गई और उस समय उस प्रथम सवारी का पूजन सम्मान करने वालों में तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह, राजमाता सिेंधिया व शहर के गणमान्य नागरिक प्रमु्ख थे। सभी पैदल सवारी में शामिल हुए और शहर की जनता ने रोमांचित होकर घर-घर से पुष्प वर्षा की। इस तरह एक खूबसूरत परंपरा का आगाज हुआ। उसके बाद तो आज तक जारी है और इसमें मुख्यमंत्री सही कई वी वी आई पी सम्मिलित होते है 

Leave a reply