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लाल किले से PM मोदी का संबोधन आज


गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाश वर्ष के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 21 अप्रैल को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। इस अलावा गुरु तेग बहादुर की जयंती पर एक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे। आपको बता दें कि यह पहला ऐसा मौका है, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी धार्मिक कार्यक्रम को लेकर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले से देश को संबोधित कर ऐतिहासिक काम करने वाले हैं। पीएम मोदी से पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया है। दरअसल सिख समाज से प्रधानमंत्री मोदी का भावनात्मक जुड़ाव समय समय पर देखने को मिलता है। पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलना हो या 3 कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए गुरु परब का दिन चुनने का फैसला या फिर अब गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाश पर्व पर देश को संबोधित करने के लिए लाल किले को चुनना। इन सभी के राजनीतिक समीकरण भी निकाले जा रहे हैं।

- किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश के चुनाव में भले ही न दिखे, लेकिन पंजाब में इसका असर देखने को मिला। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार में भी सिख मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई थी।

- पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और अकाली दल को धूल चटा दी है और विपक्ष पूरी तरह से खाली हो चुका है। पंजाब का सिख समुदाय कांग्रेस-अकाली दल के अलावा एक नए नेतृत्व की तलाश में है। इसलिए भाजपा अब सिख समुदाय के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।

- पंजाब में करीब 58 प्रतिशत आबादी सिख धर्म की है और 38.49 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म की है। सिख राजनीति में अकाली दल सबसे प्रभावी रहा है, लेकिन अकाली दल के घटते प्रभाव के कारण अब भाजपा उस पर नजर टिका रही है।

- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कई बार कह चुका है कि सिख हिंदू धर्म से अलग नहीं हैं, लेकिन जैन बौद्ध धर्म की तरह एक अलग संप्रदाय हैं। पंजाब में सिख समुदाय के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए संघ ने राष्ट्रीय सिख संगत का गठन किया है। पंजाब में RSS की हजारों शाखाएं लगातार चल रही हैं।
- इन सबके अलावा पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और दिल्ली में भी नगर निगम चुनाव होने वाले हैं। इसलिए दिल्ली चुनावों को ध्यान में रखकर भी लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी का राष्ट्र को संबोधन काफी अहम हो जाता है। दिल्ली में 12 फीसदी आबादी वाले सिख समुदाय की है और करीब 12 विधानसभा सीटों और करीब 60 नगरपालिका सीटों पर अहम भूमिका है।

जानिए कौन थे गुरु तेग बहादुर
 लाल किले के पास ही गुरु तेग बहादुर की याद में बना शीशगंज गुरुद्वारा है, जहां वे शहीद हुए थे। गुरु हरगोबिंद सिंह जी के पांचवें पुत्र गुरु तेग बहादुर, सिखों के 9वें गुरु थे जिन्होंने सिर्फ 14 साल की उम्र में मुगलों से मुकाबला किया था। मुगलों के साथ युद्ध में पिता के साथ अपनी वीरता दिखाई थी और मुगल शासक औरंगजेब के लाख दबाव के बाद भी गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम नहीं अपनाया और अपना सिर झुकाने के बजाय शहीद होना पसंद किया।

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