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दिल्‍ली में हुई हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह ने बुलाई अहम बैठक


नई दिल्ली: लाल किले समेत दिल्ली में कई जगह हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है. इस अहम बैठक में केंद्रीय गृह सचिव और IB के निदेशक भी होंगे. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर गृह मंत्री शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से भी मुलाकात कर सकते हैं. वहीं मंगलवार को हुई ऐसी ही एक बैठक में दिल्ली में पैरा मिलिट्री फोर्स की करीब 15 अतिरिक्त कंपनी तैनात करने का फैसला लिया गया था. 

मंगलवार को लिया गया ये फैसला
किसान आंदोलन में ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के नाम पर दिल्ली में किसान संगठनों के शर्मनाक रवैये के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने उच्चस्तरीय बैठक कर पूरी स्थिति की समीक्षा की थी. MHA की बैठक में सुरक्षा व्यस्था को और मजबूत करने का स्पष्ट निर्देश दिए गए. फौरन दिल्ली के कई इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजा गया. राजधानी की कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों (Paramilitary forces ) को भी लगाया जाएगा.  प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित रखने के लिए कुल कितने अर्धसैनिक जवान लगाए जाएंगे यह साफ नहीं है. जानकारी के मुताबिक यह संख्या 1500 से 2000 के बीच यानी 15 से 20 कंपनी तक हो सकती है.

जवानों ने लिया था संयम से काम
लाल किले पर तैनात सुरक्षाबल के जवानों ने बड़े संयम से काम लिया था. हाथों में हथियार होते हुए भी इन दंगाइयों से वो सिर्फ इसलिए पिटते रहे क्योंकि उनमें से कुछ हाथों ने तिरंगा थाम रखा था. वहीं कुछ खुद को किसान कह कर पहुंचे थे. अगर सुरक्षाबल के जवानों ने सब्र से काम नहीं लिया होता और दंगाइयों का मुकाबला दंगाई की तरह किया होता तो लाल किले में क्या हो जाता इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. 

कांग्रेस सांसद ने किया बड़ा दावा
इस बीच कांग्रेस के लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) का दावा है कि यह सब हिंसा आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़े खालिस्तानियों ने अंजाम दी. उन्होंने एक दिन पहले ही पूरे आंदोलन को हाईजैक कर लिया था. रवनीत सिंह ने कहा कि 26 जनवरी के दिन देश को गहरा घाव देने के लिए ये एक बड़ी साजिश थी. लाल किले पर जो झंडा लगाया गया है, वह निशान साहिब का ध्वज नहीं है. हमारा धार्मिक झंडा केसरी होता है पीला नहीं. जिन्होंने लाल किला पर कब्जा किया और बवाल मचाया वो खालिस्तान (Khalistan) से जुड़े थे.  

 

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