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पीएम मोदी ने की 'मन की बात', इनकी दी मिसाल


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को साल 2020 के आखिरी 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे कई उदाहरण पेश किए जो दूसरों के लिए नजीर बन सकते हैं। मसलन- उन्होंने 92 साल के एक ऐसे विद्वान की बात कही, जिन्होंने इस उम्र में कम्प्युटर सीखा और अब किताबें लिख रहे हैं। वहीं उन युवाओं का जिक्र भी किया जो पर्यावरण और बेजुबान जानवरों की सेवा में जुटे हैं। कुछ लोग धरोहरों को संजोने का काम कर रहे हैं। पढ़िए मन की बात 27 दिसंबर की अहम बातें

इसी तरह कर्नाटक के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनुषा। आप जानकर हैरान रह जाएंगे। इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर beach से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है। हमें ये संकल्प लेना चाहिए, कि हम, कचरा फैलाएंगे ही नहीं। हमें देश को single use plastic से मुक्त करना ही है । ये भी 2021 के संकल्पों में से एक है।

गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम और volunteers के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहाँ छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं।

जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में। दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं। लेकिन, Computer आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, computer सीखा।

कर्नाटका के युवा brigade की प्रेरणादायक कहानी जिन्होंने श्रीरंगपट्न (Srirangapatna) के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया। एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक video social media पर post कर दिया। युवा brigade ने जब इस वीडियो को social media पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया। ये सभी युवा कई अलग तरह के profession से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने weekends के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया। युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का connection भी लगवाया।

मैंने, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा । आपने भी social media पर इसके visuals देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली wheelchair देखी है, लेकिन, कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित dog के लिए wheelchair बना दी।

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