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बस संचालकों ने कहा-17 तक तय करो किराया, नहीं तो बस करेंगे बंद



लॉकडाउन के चलते करीब छह माह से खड़ीं यात्री बसें जैसे-तैसे सितंबर से चलने लगीं, लेकिन एक बार फिर बसों के पहिए थमते दिख रहे हैं। दरअसल मप्र बस ऑपरेटर एसोसिएशन और मप्र शासन के बीच बसों का किराया निर्धारित करने की सहमति तो बनी, लेकिन किराया निर्धारित न हो पाने के कारण ऑपरेटरों ने बसों का संचालन बंद करने का मन बना लिया है। कोरोना के चलते यात्री न मिलने से हो रहे घाटे का हवाला देते हुए शासन को यह अल्टीमेटम भी दे दिया है कि 17 अक्टूबर तक किराया निर्धारित कर उसे लागू किया जाए नहीं तो बसों के पहिए थम जाएंगे। प्रदेशभर में संचालन बंद कर बसें खड़ी कर दी जाएंगी। विदित हो कि जबलपुर से करीब 600 बसों का संचालन किया जाता है। फिलहाल कोरोना के चलते लगभग 150 बसों का संचालन ही हो रहा है।

बस मालिक वहन नहीं कर पा रहे खर्च
मप्र बस ऑपरेटर एसोएिशन के महामंत्री व किराया निर्धारण बोर्ड के सदस्य जय कुमार जैन ने परिवहन सचिव मप्र शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया कि कोरोना संक्रमण के कारण मार्गों पर यात्री नहीं मिल रहे हैं। डीजल, टैक्स और चालक, परिचालक, हेल्परों के वेतन का खर्चा बस मालिक वहन नहीं कर पा रहे हैं। कई बस मालिकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। ऐसे में किराए में वृद्घि करना आवश्यक हो गया है। यदि 17 अक्टूबर तक बस किराए में वृद्घि नहीं की जाती तो बसों का संचालन बंद कर देंगे।

10 रुपये प्रति किलोमीटर किराया बढ़ाने का प्रस्ताव
विदित हो कि 18 सितंबर 2020 को हुई किराया निर्धारण समिति की बैठक में एसोसिएशन ने पहले किलोमीटर पर 10 रुपये और उसके बाद डेढ़ रुपये प्रति किमी के हिसाब से किराया निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पर शासन की मुहर लग पाती उसके पहले उपचुनाव के चलते आचार संहिता लग गई और किराया प्रस्ताव अटक गया।

नुकसान का दिया हवाला
- 32 सीटर बसों का एक दिन 600 रुपये लग रहा टोल टैक्स।

- 2 हजार रुपये चालक, परिचालक, हेल्पर में हो रहे खर्च।

- जितना किराया नहीं मिल रहा उससे ज्यादा रकम डीजल में खर्च हो रही।

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