रेलवे की जमीन पर काबिज अतिक्रमण, कौन जिम्मेदार
भोपाल। रेलवे ट्रैक के किनारे अतिक्रमण से मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है। प्रदेश में लगभग 30 किलोमीटर से ज्यादा का ट्रैक ऐसा है, जो कच्चे या पक्के अतिक्रमण की चपेट में है । सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रेलवे ट्रैक को अतिक्रमण मुक्त बनाने की आस जगी जरूर है, लेकिन रेलवे की एजेंसियों में ही अतिक्रमण हटाने और उन्हें रोकने को लेकर समन्वय का अभाव है।
भोपाल रेल मंडल नए सिरे से जांच कराने की बात कह रहा है तो जबलपुर रेल मंडल ने इंजीनियरिंग विभाग को जमीन का सर्वे करने का निर्देश दिया है। सबसे चौकाने वाला तथ्य ये है कि रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की बागडोर संभालने वाला रेल सुरक्षा बल आरपीएफ का कहना है कि हम खुद से अतिक्रमण नहीं हटा सकते हैं। कार्रवाई के दौरान हम वहां सुरक्षा के लिए मौजूद रहते हैं।
भोपाल रेल मंडल 35 साल से आंख मूंदे रहा
भोपाल से संत हिरदाराम नगर स्टेशन के बीच करीब आठ किलोमीटर क्षेत्र (ट्रैक के दोनों ओर) पर 35 साल में 1100 झुग्गियां बस गईं और जिम्मेदार आंख मूंदे हुए हैं। जनप्रतिनिधियों ने वोट बैंक के चलते फायदा उठाया और लोगों के मतदाता परिचय पत्र बनवा दिए। जिला प्रशासन ने राशन कार्ड जारी कर दिए। आधार कार्ड बन गए। लोगों को आधार कार्ड से लेकर पट्टे तक मिल गए ।
झुग्गियों के कारण हुआ चर्चित शक्तिकांड
ट्रेनों में सामग्री बेचने वाले 80 फीसद वेंडर इन्हीं झुग्गियों में रहतेे हैं। अक्टूबर 2017 में देशभर का चर्चित भोपाल का शक्ति कांड भी हबीबगंज स्टेशन के पास अवैध झुग्गियों के चलते घटा था। झुग्गी में रहने वाले चार लोगों ने एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म किया था।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पूरे मामले की नए सिरे से जांच कराएंगे । इसके लिए रेलवे के सभी विभाग बेहतर समन्वय से काम करेंगे।
- विजय प्रकाश, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, भोपाल
जबलपुर में नोटिस से आगे नहीं बढ़ती कार्रवाई
जबलपुर मंडल में छोटी लाइन फाटक से ग्वारीघाट के बीच 3 किमी के दायरे दोनों तरह के अतिक्रमण हैं। जबलपुर के ही मदनमहल स्टेशन से कछपुरा रेलवे अंडर ब्रिज के बीच 2 किमी के दायरे में अतिक्रमण हैं। सतना रेलवे स्टेशन से केमा रेल लाइन के तकरीबन 4 किमी के दायरे में अतिक्रमण है। पिपरिया रेलवे स्टेशन से लेकर यार्ड की दो किलोमीटर सीमा में अतिक्रमण है। कटनी मुख्य रेलवे स्टेशन से कटनी साउथ के बीच तकरीबन तीन किमी के दायरे में अतिक्रमण है।
इनका कहना है
इंजीनियरिंग विभाग को जमीन का सर्वे करने को कहा है। कुछ अतिक्रमण को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भी दिए गए हैं।
संजय विश्वास, डीआरएम, जबलपुर रेल मंडल
मंडल स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने निर्देश मिलते हैं। हम खुद से उन्हें नहीं हटा सकते। कार्रवाई के दौरान वहां हम सुरक्षा के लिए मौजूद रहते हैं।
अरूण त्रिपाठी, डीएससी, जबलपुर रेल मंडल
रतलाम (इंदौर) रेल मंडल के आवास पर भी अतिक्रमण
इंजीनियरिंग विभाग ने कार्रवाई कर कुल 68 अतिक्रमण हटाए। 13 मामले कोर्ट में लंबित थे, उनमें से सभी रेलवे ने जीते हैं। वर्तमान में इंदौर स्टेशन पर चाय की दुकान को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है। रेलवे के 100 क्वार्टरों अवैध कब्जे थे। हटाने की कार्रवाई जारी है। योगेश शर्मा, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) ने कहा, न्यायालय से भी कई मामलों में रेलवे के पक्ष में फैसला आया है।
ग्वालियर नेरोगेज की तो सिर्फ पटरी पर नहीं है अतिक्रमण
यहां की छोटी लाइन पर अतिक्रमण बड़ी समस्या है । ग्वालियर से श्योपुर के बीच चलने वाली नेरोगेज ट्रेन का करीब छह किलोमीटर ट्रैक पर बेहद घना अतिक्रमण है ।