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फिर टली निर्भया के दोषियों की फांसी, पटियाला हाउस कोर्ट ने लगाई रोक



नई दिल्‍ली: निर्भया केस (Nirbhaya Case) के दरिंदों की फांसी एक बार फिर टल गई है. कल सुबह 6 बजे इनकी फांसी होनी थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगाई. इस तरह तीसरी बार निर्भया के दोषियों की फांसी टली है. निर्भया केस में दोषी पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के पास अंतिम क्षणों में दया याचिका दायर की है. पवन ने ये याचिका आज दोपहर में दायर की. यह याचिका पवन के पिता और वकील ने दायर की है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अभी छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं. उनके लौटने के बाद ही इस बात पर फैसला होगा. इस लिहाज  से इस बार फांसी पर रोक की वजह बनी है राष्ट्रपति के सामने दायर पवन की दया याचिका.

बता दें कि इससे पहले निर्भया केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों पवन और अक्षय की याचिका खारिज कर दी है. पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. दोषी पवन ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी.

बता दें कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. पवन गुप्ता ने फांसी से बचने के लिए एक चाल चली थी और 2 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. पवन के अलावा बाकी के तीन दोषी मुकेश, अक्षय और विनय की क्यूरेटिव याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इसके बाद राष्ट्रपति उनकी दया याचिका भी ठुकरा चुके हैं. केवल पवन की दया याचिका पर फैसला होना बाकी है.

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने आज दोपहर निर्भया के दोषियों पवन और अक्षय की याचिका खारिज कर दी थी और डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. बता दें कि निर्भया के दोषियों को कल फांसी होनी थी. पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी खारिज कर दिया था. दोषी पवन ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी. 

पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी पवन के वकील एपी सिंह से पूछा कि कोर्ट पिक्चर में तभी आता है जब राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करते हैं? इस समय कोर्ट आपको क्यों राहत दे? कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने आपको 7 दिनों का समय दिया था लेकिन आपने उसमें याचिका दाखिल नहीं की. आपने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को अनदेखा किया.

कोर्ट ने पूछा कि ऐसा कोई नियम है कि क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद दया याचिका दाखिल की जाए? सरकारी वकील ने इसका जवाब नहीं में दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर दया याचिका खारिज होती है तो कोर्ट पिक्चर में आएगा. 7 दिनों का वक्त दिल्ली हाई कोर्ट का बीत चुका है. इस परिस्थिति में केवल सरकार दखल दे सकती है कोर्ट कैसे दखल दे सकता है? कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मैं टमाटर खरीदने के लिए मेडिकल शॉप पर जाता हूं तो क्या मेडिकल की दुकान वाला देगा? नहीं ना? 

कोर्ट ने कहा कि ठीक इसी तरफ आपकी याचिका प्रशासनिक तौर पर डील की जाएगी न कि कोर्ट के स्तर पर. कोर्ट ने ए पी सिंह को कहा कि आपने पहले क्यों नही सोचा कि आप कहां जाएंगे क्योंकि आप आखिरी मूमेंट में सब दाखिल करते हैं.

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