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विश्व पत्रकारिता दिवस पर एक अंतरराष्ट्रीय जलसा....


दिल्ली। दिल्ली का मारवाह स्टूडियो दुनिया में पत्रकारिता के उन चुनिंदा शैक्षणिक संस्थानों में शुमार है, जो ज्ञान की संपूर्णता में यकीन करते हैं । अब इस संस्थान का फिल्म विश्वविद्यालय भी शुरू हो गया है । संस्थान अपना समाचार पत्र निकालता है, रेडियो स्टेशन संचालित करता है ,अपना आंतरिक टीवी चैनल है, अपने राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय आयोजन करता है और पत्रकारिता के छात्रों के समग्र व्यावहारिक विकास पर ध्यान देता है । 
इस सप्ताह यहां अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता महोत्सव का आयोजन किया गया । इसमें हिंदुस्तान के अलावा करीब एक दर्जन मुल्कों के जाने माने मीडिया विशेषज्ञों ने शिरकत की । इनमें ईरान, अमेरिका, ब्रिटेन, रोमानिया और अन्य देशों के पत्रकार - प्राध्यापक शामिल हैं । राजेश बादल जी इस अवसर पर ख़ास मेहमान के तौर पर आमंत्रित थे । इस सत्र के दौरान सारी दुनिया में इन दिनों पत्रकारिता पर हो रहे हमलों पर चिंता प्रकट की गई । इस चर्चा में उनके पुराने मित्र और 1985 के नवभारत टाइम्स के दिनों के सहयोगी विजय त्रिवेदी और मीडिया शिक्षा के विशेषज्ञ संजयसिंह भी मौजूद थे । श्री बादल जी कि राय में पत्रकारों पर हमलों के दो कारण हैं । पहला तो यह कि अब राजनेता असहमति और आलोचना बर्दाश्त नहीं करते । वे अब पुराने दौर के नेताओं की तरह ईमानदार नहीं रहे हैं । जब पत्रकारिता उनकी पोल खोलती है तो पहले तो वे पत्रकारों को खरीदने की कोशिश करते हैं । जब दाल नहीं गलती तो हिंसक और क्रूर अंदाज में प्रतिशोध पर उतर आते हैं । दूसरी वजह यह है कि पत्रकारों का अपना घर भी ठीक नहीं है । वे अब अपने हित भी देखने लगे हैं । जब अपने हितों को साधने के लिए वे पत्रकारिता को औेजार की तरह इस्तेमाल करते हैं तो उन पर आक्रमण होते हैं । पत्रकारों को इस व्यवसाय का इस्तेमाल निजी हित साधने में नहीं करना चाहिए । विजय त्रिवेदी ने भी दिवराला के सती  कांड को याद करते  हुए अपनी बात रखी । संदीप मारवाह  , जो अपने आप में चलते फिरते संस्थान हैं ,ने बीच बीच में अपने प्रभावशाली वक्तव्य से अकाट्य तर्क रखे ।

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