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राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र बने श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के पहले ट्रस्टी



नई दिल्ली। 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' में अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र कि नियुक्ति पहले ट्रस्टी के रूप में की गई है। इसके साथ ही श्रीरामजन्मभूमि की अधिग्रहीत की गई चल अचल संपत्तियों सहित रामलला को चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुई धनराशि, सोना-चांदी को ट्रस्टी बनाए गए राजा अयोध्या बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को बुधवार शाम हस्तांरित कर दी गई और साथ ही इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन ने गृह मंत्रालय भारत सरकार को भी भेज दी।

अयोध्या राजघराने के वंशज है राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र
अयोध्या राजवंश के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को ट्रस्ट का पहला ट्रस्टी बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। अयोध्या के राजा के नाम से मशहूर राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र एक मशहूर शख्सियत है। अयोध्या राजघराने का इतिहास बरसों पुराना है। अयोध्या राजवंश राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़ा हुआ है। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र राजवंश के ज्येष्ठ पुत्र हैं इसलिए राजशाही के अधिकार उनको मिले, लिहाजा क्षेत्र में उनको अयोध्या के राजा के नाम से पहचाना जाता है।

राजनीति भी कर चुके हैं राजा साहब
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र विमला देवी फाउंडेशन न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, जो साहित्य, संगीत एवं कलाओं के उत्थान के लिए काम करता है। राजासाहब राजनीति के अखाड़े में भी हाथ आजमा चुके हैं। साल 2009 में उन्होंने फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन नाकामयाब रहे। हार के साथ ही उन्होंने सियासत को भी अलविदा कह दिया।

राजा साहब के बेटे हैं मशहूर साहित्यकार
राजा विमलेंद्र मिश्र के बेटे यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्र मशहूर साहित्यकार और कवि के रूप में विख्यात है। लता मंगेशकर पर लिखी गई पुस्तक लता सुर गाथा के लिए उनको 65वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा वह रजा फाउंडेशन पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, एच के त्रिवेदी स्मृति युवा पत्रकारिता पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता सम्मान, राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, परंपरा ऋतुराज सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ फेलोशिप सहित कई अन्य पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं।

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