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खबरदार हो जाये भारत के दुश्‍मन, सुरक्षा में तैनात है अब सुखोई 30 और ब्रह्मोस की जोड़ी



नई दिल्ली: चीन के पूर्व सैन्य रणनीतिकार Sun Tzu(सुन त्सू) ने 2500 वर्ष पहले एक किताब लिखी थी, जिसका नाम है The Art of War ये किताब सैन्य रणनीति और युद्ध लड़ने के सिद्धांतों के बारे में बताती है. सुन त्सू के मुताबिक हमेशा दुश्मन की कमजोरी पर वार करना चाहिए और ऐसी चाल चलनी चाहिए जिससे दुश्मन हैरान हो जाए. और भारत ने चीन से आए इस फॉर्मूले को चीन के ही खिलाफ इस्तेमाल किया है. आज भारतीय वायुसेना ने तमिलनाडु के तंजावुर Air Force Station पर सुखोई 30-MKI फाइटर जेट और ब्रह्मोस मिसाइल की घातक जोड़ी को तैनात कर दिया है.

तंजावुर में सुखोई के मौजूद होने से अरब सागर और हिंद महासागर की सुरक्षा और मजबूत होगी. इसलिए आज हम दक्षिण भारत में सुखोई और ब्रह्मोस की शुभ शुरुआत का एक विश्लेषण करेंगे. आज भारतीय वायुसेना ने पहली बार अपने सबसे मजबूत फाइटर जेट सुखोई 30-MKI की एक Squadron को दक्षिण भारत में तैनात किया है.

सुखोई विमानों की ये पहली स्क्वॉड्रन है जो सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है. एक Squadron में 18 फाइटर जेट होते हैं. लेकिन अभी इसमें 6 Modified सुखोई फाइटर जेट हैं. और ये सभी Jets समुद्र में मौजूद किसी भी युद्धपोत पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से हमला कर सकते हैं.

सुखोई दुनिया के सबसे अच्छे Fighter Aircrafts में एक है. और ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक Cruise मिसाइल है. ये ज़मीन और समुद्र की सतह के काफी करीब उड़ती है. जिससे दुश्मनों के Radar इसका पता नहीं लगा पाते हैं. और इन दोनों हथियारों को एक करके इनकी ताकत को कई गुना बढ़ाने का काम हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ही किया है.

आज तंजावुर में पहली उड़ान के बाद सुखोई फाइटर जेट को Water Cannon Salute दिया गया है. अक्सर ऐसा किसी भी फाइटर जेट की पहली या अंतिम फ्लाइट के समारोह में किया जाता है. और आज सुखोई को पहली उड़ान के सम्मान में Water Cannon Salute दिया गया है.

इस मौके पर Chief of Defence Staff यानी CDS जनरल बिपिन रावत और वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया भी मौजूद थे. इस Squadron का नाम है 222 ‘Tiger Sharks’ Squadron और ये सुखोई की 12वीं Squadron है. इससे पहले बनी 11 Squadrons को, पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ तैनात किया गया है.

तंजावुर में सुखोई की तैनाती चीन के खिलाफ भारत की वर्ष 2020 वाली रणनीति है. यानी अब दुश्मनों को जवाब भी Twenty-Twenty वाले अंदाज में दिया जाएगा. तंजावुर में मौजूद सुखोई फाइटर जेट समुद्र सीमा की रक्षा के साथ चीन के युद्धपोतों को घुसपैठ करने से रोकेंगे और जरूरत पड़ने पर दिन हो या रात किसी भी वक्त दुश्मन पर हमला भी कर पाएंगे.

आप समझिए कि दक्षिण भारत के तंजावुर से होने वाला सुखोई और ब्रह्मोस का हमला कितना असरदार होगा.

- सुखोई एक बार में करीब 3 हज़ार किलोमीटर की दूरी तक जा सकता है. अगर दूरी इससे भी ज्यादा हो, तो भी कोई समस्या नहीं है. क्योंकि सुखोई के अंदर हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है.

- और ब्रह्मोस मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक आवाज़ की रफ़्तार से लगभग 3 गुना ज्यादा तेजी से हमला करती है.

- अब सुखोई और ब्रह्मोस मिलकर तंजावुर के आस-पास करीब 3400 किलोमीटर का एक सुरक्षा घेरा बनाएंगे.

- और इस दूरी तक मौजूद दुश्मन का कोई भी युद्धपोत ब्रह्मोस मिसाइल के निशाने पर होगा.

तंजावुर के करीब हिंद महासागर का इलाका दुनिया का सबसे व्यस्त समुद्री High-Way है. यहां मौजूद सुखोई विमान चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ भारत के व्यापारिक हितों की भी रक्षा करेंगे. अब कुछ आंकड़ों की मदद से समझिए कि हिंद महासागर भारत और दुनिया के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

- हिंद महासागर के आस पास मौजूद देशों में करीब 250 करोड़ लोग रहते हैं. यानी दुनिया का हर तीसरा आदमी इसी इलाके के किसी देश में रहता है.

- हिंद महासागर से ही दुनिया के 80 प्रतिशत कच्चे तेल का व्यापार होता है और यहीं पर दुनिया के 40 प्रतिशत कच्चे तेल का उत्पादन होता है.

- भारत के कच्चे तेल की जरूरतों का 95 प्रतिशत इसी समुद्री रास्ते से आता है. कच्चे तेल के 4000 Tankers प्रतिदिन भारतीय बंदरगाहों पर आते जाते हैं.

तंजावुर में भारतीय वायुसेना की 222 ‘Tiger Sharks’ Squadron तैनात है. इसकी स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी और वर्ष 1971 में इस Squadron ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में बड़ा पराक्रम दिखाया था. वर्ष 2011 में Tiger Sharks’ Squadron के सभी फाइटर जेट रिटायर हो गए और इस Squadron को Numberplated(नंबरप्लेटेड) कर दिया गया था. यानी जब तक इस Squadron को नए एयरक्राफ्ट नहीं मिले तब तक इसे निलंबित रखा गया था. करीब 9 वर्षों के बाद जनवरी 2020 में ‘Tiger Sharks’ Squadron में सुखोई 30 MKI फाइटर जेट शामिल हुए हैं.

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