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प्रमोद भार्गव की नई किताब “इक्कीसवीं सदी का विज्ञान“ का हुआ लोकार्पण


                   देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में उपलब्ध प्रतिष्ठित लेखक और पत्रकार प्रमोद भार्गव की नवीन कृति “इक्कीसवीं सदी का विज्ञान“ का लोकार्पण देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं राज्य सभा टीवी चैनल के पूर्व निदेशक राजेश बादल ने किया। इस अवसर पर श्री बादल ने कहा कि प्रमोद भार्गव की लेखनी जीवन के उन पहलुओं को रेखांकित करती है जो होते बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से हम उन्हें नजर अंदाज कर देते हैं। एक हिन्दी साहित्य के विद्यार्थी का विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान लेखन करना अनूठा कार्य है। प्रमोद का लेखन इसलिए प्रमाणित है, क्योंकि उनके लेख हिंदी की हरेक विज्ञान पत्रिका एवं समाचार पत्रों के परिशिष्टों में प्रमुखता से छपे हैं और चर्चित हुए हैं। यहाँ तक की विज्ञान की शोध पत्रिकाओं ने भ उनके आलेखों को गरिमापूर्ण स्थान दिया है। प्रमोद हिंदी के ऐसे विरले लेखक हैं, जो शब्द सृजन से अपनी आजीविका बिना किसी प्रकाशन संस्थान में नौकरी किए सम्मानपूर्वक चलाते हैं।                                      
                     प्रसिद्ध पत्रिका “अलकनंदा“ की संपादक एवं “राष्ट्रीय सहारा“ दैनिक में संपादकीय विभाग की प्रमुख रहीं सुषमा जुगरान ने कहा कि प्रमोद भार्गव की लेखनी ज्वलन्त मुद्दों को बड़ी वेबाकी से सामने लाती है। हम पिछले कई सालों से उनके लेख छापते और पढ़ते रहे हैं। उनके लेखों में संशोधन की कम से कम जरूरत पड़ती है और वे बेहद तार्किक व प्रासंगिक होते हैं। यह पुस्तक ऐसे ही उपयोगी लेखों का संकलन है, जो विज्ञान के छात्रों से लेकर शोधार्थियों तक के लिए उपयोगी है।                                     
                       बिजावर के पूर्व विधायक  पुष्पेंद्रनाथ पाठक ने इस अच्छी पुस्तक के लिए शुभकामनायें दी ।  इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के हिन्दी संपादक पंकज चतुर्वेदी, हरीभूमि समाचार पत्र के सहायक संपादक विज्ञान भूषण, प्रसिद्ध साहित्यकार गोविन्द अनुज, आजतक टीवी चैनल के राघवेंद्र सेन, यश पब्लिकेशन्स के संचालक राहुल एवं जतिन भारद्वाज सहित अनेक लेखक पत्रकार एवं पुस्तक प्रकाशक उपस्थित थे सभी ने इस अच्छी पुस्तक के प्रकाशन पर लेखक प्रमोद भार्गव को बधाई दी।

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