राम मंदिर निर्माण के लिए बनी विशेष अयोध्या डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब अयोध्या में राममंदिर के निर्माण से जुड़े सभी मामलों को देखने के लिए गृह मंत्रालय में विशेष अयोध्या डेस्क का गठन किया गया है। मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार को इस विशेष अयोध्या डेस्क का प्रमुख बनाया गया है। यह डेस्क सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने से लेकर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन और उसके बाद ट्रस्ट को जमीन का मालिकाना हक स्थानांतरित किए जाने जैसे सभी अहम मुद्दे देखेगी। गृह मंत्रालय की ओर से 31 दिसंबर को जारी आदेश के मुताबिक अयोध्या डेस्क तीन सदस्यीय होगी। इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विभाग के प्रमुख अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विभाग के ही संयुक्त सचिव और राष्ट्रीय एकता विभाग के उप सचिव को शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विभाग के प्रमुख के रूप में ज्ञानेश कुमार ने पांच अगस्त को राज्य के विभाजन और अनुच्छेद 370 व 35-ए को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी। मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि यह डेस्क अब अयोध्या से जुड़े सभी मामले और उससे संबंधित अदालती आदेशों को देखेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को तीन जगहों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन सौंपने का सुझाव दिया है। अब डेस्क सुन्नी वक्फ बोर्ड के साथ विचार-विमर्श कर इनमें से एक स्थान का चुनाव करेगी।
11 सदस्यीय हो सकता है मंदिर निर्माण ट्रस्ट
- मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के स्वरूप पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि ट्रस्ट 11 सदस्यीय होगा।
- इस ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी या फैजाबाद के कमिश्नर को स्थान दिया जाएगा।
- इसके साथ ही केंद्र सरकार के एक अधिकारी को भी ट्रस्ट में सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अपने फैसले में निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने का निर्देश दे दिया है।
- ट्रस्ट में ऐसे किसी व्यक्ति को इसमें स्थान नहीं मिलेगा, जो मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा समय नहीं दे पाए।
- सरकार के सामने ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता है, ताकि भविष्य में इसका किसी भी तरह से दुरुपयोग नहीं हो सके।
ट्रस्ट में नहीं होगा भाजपा का कोई नेता शामिल
गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का कोई भी नेता प्रस्तावित ट्रस्ट में शामिल नहीं होगा। यही नहीं विहिप ने भी साफ कर दिया कि उसका भी कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं होगा। लेकिन पिछले तीन दशकों से मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे रामजन्मभूमि न्यास को इसमें स्थान दिया जा सकता है।
तीन माह का समय दिया था सुप्रीम कोर्ट ने
पिछले साल नौ नवंबर को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण करने के लिए ट्रस्ट गठन के लिए तीन महीने का समय दिया था, जो नौ फरवरी को पूरा होगा। अब सरकार के पास केवल 38 दिन शेष रह गए हैं। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद कभी भी ट्रस्ट के गठन की घोषणा की जा सकती है।