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निर्भया के दोषी ने मौत की सजा से बचने के लिए दी अजीबोगरीब दलीले



नई दिल्ली. निर्भया केस में फांसी की सजा पाने वाले 4 दोषियों में से एक अक्षय ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। अक्षय ने मौत की सजा से बचने के लिए अजीब दलीलें दीं। उसने याचिका में दिल्ली के गैस चैंबर होने, सतयुग-कलियुग, महात्मा गांधी, अहिंसा के सिद्धांत और दुनियाभर के शोधों का जिक्र किया। अक्षय ने कहा कि जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोगों की उम्र घट रही है, तब हमें फांसी क्यों दी जा रही है? अक्षय ने मौत की सजा पर पुनर्विचार की अपील की है तो वहीं एक अन्य दोषी विनय ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। उसने कहा कि मर्सी पिटीशन पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया दुष्कर्म केस सामने आया था। 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था और दोषियों ने उसके साथ अमानवीय तरीके से मारपीट की थी। छात्रा ने 29 दिसंबर 2012 को दम तोड़ दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई थी। 

फांसी की सजा न देने के लिए याचिका में 8 दलीलें

1) दिल्ली में वैसे ही जिंदगी कम हो रही, मौत की सजा क्यों?
अक्षय ने याचिका में कहा- दिल्ली और एनसीआर के पानी और हवा में जहर घुलने की पुष्टि केंद्र सरकार ने खुद अपनी रिपोर्ट में की है। दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है। यह गैस चैंबर बन गई है। संसद में केंद्र ने रिपोर्ट पेश कर इस बात की पुष्टि की है। दिल्ली के पानी और हवा को क्या हो रहा है, इस बात से सभी वाकिफ हैं। जिंदगी वैसे ही कम हो रही है। फिर मौत की सजा क्यों?

2) सतयुग में हजारों साल जीते थे, अब शायद ही कोई 100 साल जीता है
याचिका में कहा गया- वेद, पुराणों और उपनिषदों में जिक्र है कि सतयुग और त्रेता युग के लोगों की उम्र हजारों साल होती थी। द्वापर युग में लोग सैकड़ों साल जीते थे। अब कलियुग है, इसमें उम्र बहुत घट गई है। अब यह 50-60 साल ही रह गई है। हम शायद ही ऐसा सुनते हैं कि कोई व्यक्ति 100 साल तक जिया। अपने चारों ओर देखते हैं तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि यह एक कड़वी सच्चाई है कि आजकल के खराब हालात में इंसान एक लाश से ज्यादा कुछ नहीं।

3) गांधी कहते थे अंतिम पायदान के व्यक्ति को सोचकर कुछ करें
याचिका में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया गया। कहा- राष्ट्रपिता गांधी कहते थे कि कुछ भी करने से पहले अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के बारे में सोचें। यह उसे हित में है, इससे क्या हासिल होगा? ऐसा करने से वह व्यक्ति जिंदगी पर ज्यादा नियंत्रण कर पाएगा। ऐसा करने से आपके मन की शंकाएं खत्म हो जाएंगी।

4) सजा-ए-मौत का मतलब साजिश के तहत मार देना
याचिका में दलील दी कि सजा-ए-मौत का मतलब न्याय के नाम पर एक व्यक्ति को साजिश के तहत मार डालना। सरकार बड़ी समस्याओं का समाधान इस तरह पेश करना चाहती है, उन्हें समस्या की जड़ तक जाना चाहिए।

5) सजा केवल अपराधी को मारती है, अपराध को नहीं
याचिका में कहा गया कि सरकार महिलाओं के खिलाफ आतंकवाद जैसी हिंसा को खत्म करने के लिए यह सजा दे रही है, जो ठीक नहीं। इसकी जगह योजनाबद्ध पुनर्वास पर विचार करना चाहिए। सजा केवल अपराधी को मारती है, अपराध को नहीं। सरकार को अपराध से घृणा करनी चाहिए, अपराधियों से नहीं। 

6) मौत की सजा अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ
दलील दी गई कि गंभीर अपराध के दोषियों को बिना सजा के नहीं छोड़ा जाना चाहिए। सजा के तरीके पर विचार जरूरी है, न कि सख्त व संगीन सजा पर। मौत की सजा मानवाधिकारों का उल्लंघन है। यह जीने के अधिकार और अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ है। यह सजा हिंसा की संस्कृति है, न कि समाधान। 

7) शोध बताते हैं कि सख्त सजा से कोई असर नहीं पड़ता
अक्षय ने याचिका में कहा- लोगों का मानना है कि संगीन अपराध में सख्त सजा देने से लोग गंभीर अपराध को अंजाम देने से डरेंगे। लेकिन, दुनियाभर में रिसर्च हुई है और यह सामने आया कि ऐसा करने से कोई असर नहीं पड़ता।

8) कई देशों ने फांसी की सजा खत्म की, भारत में भी ऐसा ही हो
याचिकाकर्ता ने कहा- भारत में फांसी की सजा खत्म की जानी चाहिए। इंग्लैंड ने 1956 में यह कहते हुए फांसी की सजा खत्म कर दी थी कि अपराधी को सुधारा जाना अहम है, यह सजा जरूरी नहीं। अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पनामा और पेरू जैसे देशों में इसे खत्म किया जा चुका है।

निर्भया के बाद अब हैदराबाद-उन्नाव केस, देशभर में सख्त सजा की मांग
निर्भया केस के बाद हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद जलाकर हत्या और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता को जिंदा जलाने की घटना सामने आई है। इसके बाद संसद से लेकर सड़क तक आक्रोश है। सांसदों ने दोषियों को भीड़ के हवाले करने और नपुंसक बनाने जैसे बयान दिए। लोगों ने भी मांग की कि सख्त और जल्द सजा दी जाए। हैदराबाद के चारों आरोपियों का घटना के री-क्रिएशन के दौरान एनकाउंटर कर दिया गया था। इस घटना पर लोगों ने खुशी जाहिर की थी।

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