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अंतरिक्ष में फैले मलबे से सेटेलाइट को बचाने ISRO का 'प्रोजेक्‍ट नेत्र', केंद्र ने दिए 33 करोड़



नई दिल्ली। अंतरिक्ष में फैले मलबे से भारतीय सेटेलाइट्स को बचाने के लिए इसी साल सितंबर के महीने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने वॉर्निंग सिस्ट 'नेत्र' (नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट्स, ट्रैकिंग एंड एनालिसिस) को लांच किया है। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 400 करोड़ है। केंद्र सरकार ने एजेंसी की मांग के बाद इस प्रोजेक्ट के लिए 33.3 करोड़ रुपए प्रपोज किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रांट देने के लिए संकल्प पत्र लाईं थी जिसे लोकसभा ने पिछले हफ्ते मंजूरी दे दी है। बता दें कि पिछले लगभग 7 दशकों में मानव ने अंतरिक्ष में भी अपना दखल काफी बढ़ाया है, ऐसे में वहां मानवकृत मलबा काफी हो चुका है, जो अब सेटेलाइट्स के लिए घातक साबित हो रहा है।

अंतरिक्ष में इतनी हैं भारतीय सेटेलाइट्स
ISRO के पास फिलहाल जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में 15 कम्यूनिकेशन सेटेलाइट्स एक्टिव हैं। 13 रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट लो ऑर्बिट (2000 किलोमीटर रेडियस) में मौजूद हैं। वहीं 8 नेवीगेशन सेटेलाइट्स मीडियम अर्थ ऑर्बिट में हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष में कई छोटे भारतीय सेटेलाइट भी मौजूद हैं।

पू्र्व ISRO डायरेक्टर एमवायएस प्रसाद का कहना है कि भारत एक जिम्मेदार स्पेस पॉवर है और उसके पास स्पेस सेटेलाइट्स को बचाने और निगरानी करने के लिए जरुरी सुरक्षा संसाधन मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि नेत्र प्रोजेक्ट के बाद भारत के पास यूएस और रशिया के जैसी स्पेस के मलबे और अन्य खतरे से निपटने की क्षमता आ जाएगी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में मानव निर्मित लगभग 17 हजार ऑब्जेक्ट्स की मॉनिटरिंग हो रही है। इसमें से 7 फीसदी ही एक्टिव मोड में हैं। कुछ वक्त बाद यह इनएक्टिव हो जाएंगे और अंतरिक्ष में घूमते हुए एक दूसरे से टकरा जाएंगे।

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