जिसे कचरे के ढेर में छोड़ गऐ थे, उसे अमेरिका में मिला परिवार
नीमच. ‘वी वील मेक हर ड्रीम्स कम ट्रू’ (हम इसके सपने पूरे करेंगे)। ये शब्द थे 12 साल से नि:संतान अमेरिकन दंपती माइकल कोरी (35) व इरिका (31) के। जिला न्यायालय परिसर में गुरुवार को जैसे ही दोनों ने डेढ़ साल की कुपोषित बालिका इशिता के गोदनामे को लेकर वात्सल्य गृह संस्था से एग्रीमेंट किया, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दोनों सात समंदर पार अमेरिका के शहर मिसीसी से यहां आए थे।
19 माह पहले इशिता कचरे के ढेर से मिली थी, जिसकी परवरिश नीमच की संस्था वात्सल्य गृह में हुई। इस साल तीसरी बच्ची विदेश पहुंची है, इससे पहले 2 बेटियों को दुबई व यूरोप से आए परिवार ले जा चुके हैं। इस बार अमेरिकन दंपती सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के जरिए नीमच की संस्था से संपर्क में आए और प्रक्रिया पूरी की।
अमेरिका के मिसीसी निवासी माइकल कोरी व पत्नी इरिका का विवाह 2007 में हुआ था, 12 साल से संतान नहीं थी। माइकल एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में अकाउंटेंट हैं। पिछले दिनों वे केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संबद्ध सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के माध्यम से नीमच में संचालित वात्सल्य गृह के संपर्क में आए। वेबसाइट के जरिए निराश्रित बालिकाओं की जानकारी ली। इशिता मार्च 2018 में कचरे के ढेर में लहूलुहान व प्री-मैच्योर हालत में मिली थी।