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अमेरिकी संसदीय आयोग में सुनंदा ने दुनिया को बताया कश्मीर का सच


वाशिंगटन। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान लगातार मातम मना रहा है और दुनिया का भारत को साथ मिल रहा है लेकिन अब भी कुछ लोग हैं जो इस मसले पर भारत के खिलाफ प्रॉपगैंडा फैलाने में लगे हैं। पाकिस्तान की तरफदारी करने वाले इन लोगों को कश्मीर की ही एक महिला ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को भी इसके साथ एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है।

दरअसल, पाकिस्तान ने अमेरिकी संसद में बैठे अपने आकाओं के जरिए इस मुद्दे को एक बार फिर दुनिया के सामने उठाने की कोशिश की। लेकिन अमेरिका की संसदीय आयोग के सामने कश्मीरी मूल की अमेरिकी स्तंभकार ने पाकिस्तान की बखिया उधेड़ कर रख दी। कभी कश्मीर में रहने वाली इस स्तंभकार ने पाक का प्रॉपगैंडा फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया और चुनौती दी कि वो पाक अधिकृत कश्मीर और चीनी कब्जे वाले हिस्से की बात करें।

सुनंदा ने कहा कि कश्मीर में आईएस जैसा आतंक तब से था, तब दुनिया इससे वाकिफ ही नहीं थी। टॉम लैंटोस मानवाधिकार आयोग द्वारा बुलाई गई संसदीय सुनवाई के दौरान कश्मीरी स्तंभकार और राजनीतिक टिप्पणीकार सुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट ने जिस तरह के भय और क्रूरता का प्रदर्शन किया है, उसी तरह की क्रूरता कश्मीर झेल चुका है।

वशिष्ठ ने कहा,"पश्चिमी देशों के कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से रूबरू होने के 30 साल पहले भारत ने कश्मीर में आईएस स्तर के जघन्य आतंकवाद का सामना किया है। मुझे खुशी है कि आज यहां यह सुनवाई हो रही है क्योंकि जब मेरा परिवार और मेरे जैसे अन्य लोग अपने घर, अपनी आजीविका और अपनी जीवनशैली छोड़ने को मजबूर हुए थे, तब दुनिया ने चुप्पी साध रखी थी।"

वशिष्ठ ने आयोग के सदस्यों से पूछा, "जब मेरे अधिकार छीने गए तब मानवाधिकार की वकालत करने वाले लोग कहां थे? 19 जनवरी, 1990 को ये लोग कहां थे, जब जम्मू-कश्मीर में हर मस्जिद से हिंदुओं से अपनी महिलाओं को वहीं छोड़कर बाहर जाने को कहा जा रहा था।"

उन्होंने कहा कि आतंकियों ने तब हम लोगों के सामने तीन विकल्प रखे थे। भाग जाओ, इस्लाम कबूल कर लो या मर जाओ। उस रात चार लाख हिंदू कश्मीर घाटी छोड़कर भाग गए थे।

कश्मीर पर कब्जे को लेकर बोली- भारत पांच हजार साल पुरानी सभ्यता
सुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, "आप जो समझ रहे हैं, भारत 70 साल पुराना कोई देश नहीं है। भारत 5,000 साल पुरानी सभ्यता का नाम है। भारत के बिना कश्मीर नहीं है। कश्मीर के बिना भारत नहीं है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मैं यह बात पूरे दम से कहूंगी।"

कौन है सुनंदा वशिष्ठ
सुनंदा वशिष्ठ दरअसल, खुद भी एक कश्मीरी पंडित हैं और उनका परिवार तब कश्मीर में अपने घर छोड़ने को मजबूर हुआ था जब आतंकियों ने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर खूब अत्याचार किए थे। सुनंदा एक पत्रकार, रातनीतिक स्तंभकार हैं और उस समय भी अपनी लेखनी से सवाल उठा चुकी हैं जब कश्मीर में भाजपा और पीडीपी की सरकार बनी थी। अब वॉशिंगटन में टॉम लैंटोस एचआर कमीशन द्वारा आयोजित मानवाधिकार पर सुनवाई में अपनी बात रखने के बाद उनकी हर तरफ जमकर तारीफ हो रही है। सुनंदा के इस संबोधन के बाद ट्विटर पर शुभकामनाओं की बाढ़ आ गई है और लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं।

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