पीएम मोदी ने किया ऐलान, भारत नहीं बनेगा आरसेप का हिस्सा
बैंकॉक। दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी कारोबारी समझौतों में एक आरसेप में भारत शामिल नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार का इसका एलान कर दिया। भारत के बकाया मसलों और चिंताओं को दूर करने के लिए कोई सहमति नहीं बन पाने के कारण भारत आरसेप से पीछे हट गया।
पीएम मोदी ने यहां आरसेप सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान यह एलान किया। सम्मेलन में आसियान व अन्य देशों के नेता शामिल थे। मोदी ने कहा कि आरसेप (रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप) समझौते का मौजूदा स्वरूप आरसेप के सहमति से तय किए गए मार्गदर्शित सिद्धांतों और उसकी बुनियादी भावना को पूरी तरह प्रदर्शित नहीं कर रहा है।
भारत के बकाया मसलों व चिंताओं को भी दूर नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए आरसेप अनुबंध में शामिल होना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बैंकॉक पहुंची उच्चस्तरीय टीम वहां रविवार को इस मसले पर हुई चर्चाओं में घरेलू हितों की रक्षा पर डटी रही।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और संबंधित वार्ताओं में अपनी दृढ़ता दिखाई। सुलह वार्ता में दक्ष माने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मोदी को एक सख्त सुलह वार्ताकार बताया था। सरकारी सूत्रों ने कहा कि वे दिन लद गए जब कारोबार के मसलों पर भारतीय वार्ताकार वैश्विक ताकतों के दबाव में आ जाते थे। इस बार भारत फ्रंट फुट पर खेला और व्यापार घाटा को लेकर चिंताओं को दूर करने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही इस बात की भी जरूरत जताई कि अन्य देश भी भारतीय सेवाओं व निवेश के लिए अपने बाजार खोलें।
क्या है आरसेप
आरसेप आसियान के सदस्य देशों और छह अतिरिक्त देशों (भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड) का एक मुक्त व्यापार समझौता है। लेकिन भारत अब इससे अलग हो गया है। वर्ष 2012 में भारत ने इसमें शामिल होने की रजामंदी जताई थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश में चीन से बढ़ते सस्ते आयात की वजह से भारत का रुख अब बदल गया। सूत्रों के मुताबिक अब आरसेप के बाकी 15 सदस्य देश समझौते को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ेंगे।