मदद बैंक, जहां मदद जमा कर मिल सकेगी मदद
भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पश्चिमी देशों की तर्ज पर पहली बार 'टाइम बैंक' का फंडा शुरू कर रही है। इसमें लोग अपने शहर-गांव में समूह बनाकर एक-दूसरे की मदद के लिए 'समयदान" कर उसे टाइम बैंक में दर्ज कर सकेंगे, ताकि वक्त-जरूरत उन्हें भी मदद मिल सके। राज्य आनंद संस्थान अपने 50 हजार आनंदकों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ 'समय की अदला-बदली' के इस नए 'कान्सेप्ट' पर काम शुरू कर रहा है। इसमें सभी कलेक्टरों को भी मदद के लिए कहा गया है। राज्य आनंद संस्थान ने 'टाइम बैंक' जैसे नवाचार के लिए एक मार्गदर्शिका भी तैयार की है जिसे सभी जिला कलेक्टरों को भेजकर सुविधाएं जुटाने को कहा गया है। संस्थान का कहना है कि भारतीय समाज के लिए यह कोई नया फंडा नहीं। हमारे यहां सदियों से गांव-शहर और समाज के लोग आपसी व्यवहार के तहत शादी, मकान निर्माण, खेती-किसानी अथवा मुसीबत में एक दूसरे की मदद को तत्पर रहते हैं।
यह सिलसिला आपसी संबंधों के तहत चलता रहता है, पिछले कुछ दशकों से समाज में इस भावना में कमी आ गई है। 'टाइम बैंक' का प्रयोग प्रकारांतर से इसी भावना को बढ़ावा देगा। कोई भी व्यक्ति जब उसके पास समय है तो वह अपनी सुविधा से समयदान कर सकता है, बदले में उसे जब भी मदद की जरूरत हो तो उसे कोई टाइम बैंक के समूह से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सहयोग कर देगा। इसमें पैसों का लेनदेन बिल्कुल नहीं होगा, सारा हिसाब-किताब केवल 'समय" कमाने और खर्च करने का ही रहेगा।
50 हजार आनंदक करेंगे शुरुआत
टाइम बैंक व्यवस्था से संबद्ध समूहों की हर 15 दिन में बैठकें रखी जाएंगी, चार बैठकों के बाद यह नवाचार शुरू करने की तैयारी है। इसमें राज्य आनंद संस्थान के प्रदेश भर में फैले 50 हजार आनंदक, आनंद क्लब और स्वयंसेवी संस्थाएं प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इस बैंक में छोटे-बड़े का भेद किए बिना लोग अपना समय जमा कर सकेंगे और बदले में कोई भी व्यक्ति उतने समय की मदद उनके खाते में दे सकेगा।
इसके तहत पढ़ाई-लिखाई, कोचिंग, घरेलू कामकाज, कुकिंग, बुजुर्गों अथवा बच्चों की देखरेख जैसे कामों में समय का लेनदेन किया जा सकेगा। बैंक के नेटवर्क में अपने क्षेत्र व शहर के लोग ही शामिल रहेंगे और उनकी पहचान भी संबंधित समूह में दर्ज रहेगी ताकि कोई असामाजिक तत्व इसमें प्रवेश न कर पाए। इन सेवाओं के लेनदेन की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
तैयार होगा सामाजिक नेटवर्क : अर्गल
राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल बताते हैं कि समय की अदला बदली का यह कान्सेप्ट अमेरिका में सफलता के साथ चल रहा है। हमारे यहां भी समाज को जोड़ने में यह महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा। संस्थान इसे प्रोत्साहित कर रहा है, शासन की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है, बाकी सारा काम समाज स्वयं करेगा। संस्थान की ओर से सॉफ्टवेयर और वेबसाइट के जरिए समय का हिसाब-किताब रखने व जरूरी जानकारी दी जाएगी। इससे लोग एक दूसरे के करीब आएंगे और सामाजिक नेटवर्क भी तैयार होगा।