संविदाकर्मियों के लिए विभागों ने क्या किया, हिसाब लेगी कमलनाथ सरकार
भोपाल। प्रदेश के विभिन्न् विभागों में काम कर रहे संविदाकर्मियों के लिए अब तक क्या हुआ, इसका लेखा-जोखा अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने रखा जाएगा। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने नौ अक्टूबर को पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्कूल शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य सहित चुनिंदा विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई है। इसमें समकक्ष नियमित पद के न्यूनतम वेतनमान का 90 प्रतिशत वेतन देने, आरक्षित पदों पर नियमितीकरण के लिए उठाए कदमों के बारे में जानकारी ली जाएगी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संविदाकर्मियों की समस्या दूर करने के लिए सभी विभागों से अब तक किए गए कामों की रिपोर्ट मांगी थी। स्वास्थ्य विभाग ने सेवा से बाहर निकाले गए 700 से ज्यादा संविदाकर्मियों को वापस सेवा में रखने के आदेश निकालकर आवेदन मंगा लिए हैं। इन्हें 2016 में पद समाप्त होने और योजना बंद होने के कारण सेवा से बाहर कर दिया था।
उधर, दो हजार 300 कर्मचारियों का दो साल से रुका इंक्रीमेंट बिना किसी स्किल टेस्ट के दिए जाने के आदेश भी हो गए हैं। वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग ने 480 पर्यवेक्षकों को न्यूनतम वेतन का 90 प्रतिशत वेतन देने के आदेश निकाल दिए हैं। इससे पर्यवेक्षकों को 13 हजार 948 रुपए की जगह 22 हजार 700 रुपए यानी प्रतिमाह आठ हजार 752 रुपए अधिक मिलेंगे।
यह प्रावधान वर्ष 2020 में होने वाले अनुबंध से प्रभावी हो जाएंगे। इसके अलावा किसी विभाग ने संविदाकर्मियों को लेकर उठाए गए कदमों का ब्योरा सामान्य प्रशासन विभाग को नहीं दिया है, जबकि इसके लिए आठ अगस्त का समय दिया गया था। दो बार विभाग की ओर से स्मरण पत्र भी जारी किए गए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई विभागों की ओर से अब तक नहीं हुई है।
समयसीमा में कार्रवाई न होने से खफा सीएम
समयसीमा में कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ नाराज बताए जा रहे हैं। वे स्वयं इस मामले की जल्द समीक्षा करने वाले हैं। इसके मद्देनजर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके सिंह ने नौ अक्टूबर को चुनिंदा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई है। इसमें विभागों से संविदा कर्मचारियों को लेकर की गई कार्रवाई का ब्योरा लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
इस पूरे मामले को देख रहे प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर का कहना है कि संविदा कर्मचारियों को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ काफी संवेदनशील हैं। उन्होंने संविदाकर्मियों की गैर आर्थिक मांगों को लेकर मंत्रियों की समिति बनाई है, जो कई बार बैठक कर चुकी है। विभिन्न् संगठनों से जो आवेदन प्राप्त हुए हैं, उनका अधिकारियों के स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है।
इन बिंदुओं पर देनी है जानकारी
- संविदा नीति के अनुसार भर्ती नियम में संशोधन की कार्यवाही हो चुकी है या नहीं।
- नियमित पद के समकक्ष वेतन का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतन तय हुआ या नहीं।
- वेतनवृद्धि का लाभ देने की कार्यवाही हुई या नहीं।
- ईपीएफ या राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिया या नहीं।
- सेवा से कितने कर्मचारी किस कारण से हटाए गए।