लड़ाकू विमानों को मिलेगी देश में बनी सुपरसोनिक मिसाइल, डीआरडीओ ने 15 साल में किया तैयार
नई दिल्ली। भारत की पहली हवा से हवा तक मार करने वाली बियोन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (BVRAAM) 'अस्त्र' वायु सेना के लड़ाकू विमानों में लगाए जाने के लिए तैयार है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 15 साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है। डीआरडीओ को उम्मीद है कि भारतीय वायु सेना अपने सुखोई-30 KI लड़ाकू विमान के लिए कम से कम 200 मिसाइलों का ऑर्डर देगी।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, डीआरडीओ अस्त्र की मारक क्षमता को 110 किलोमीटर से बढ़ाकर 160 किलोमीटर करने की दिशा पर काम कर रहा है। डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. जी सतीश रेड्डी ने बताया कि अस्त्र आज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ BVRAAM मिसाइलों में से एक है। हमारे पास यह क्षमता है कि हम इसकी रेंज और बढ़ा सके।
अधिकारियों ने बताया कि भारत अब अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल जैसे कुछ देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो ऐसी एयर कॉम्बैट मिसाइल तैयार करते हैं। इन मिसाइलों में दुश्मनों के हथियारों से लैस सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों को मार गिराने की क्षमता है। बताते चलें कि बालाकोट में आतंकी संगठन जैश के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के बम गिराने के एक दिन बाद 27 फरवरी 2019 को एलओसी के पास भरतीय लड़ाकू विमानों का पाकिस्तान को अमेरिका से मिले एडवांस एफ-16 लड़ाकू विमानों से आमना-सामना हुआ था।
तब ऐसी घातक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की कमी भारत को खली थी। अस्त्र मिसाइल 3.57 मीटर लंबी है और इसका वजन 154 किलोग्राम है। यह ध्वनि की रफ्तार से चार गुना ज्यादा रफ्तार से उड़ान भर सकती है। रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी भारत डायनेमिक्स में इसका उत्पादन होने पर इसकी कीमत करीब सात से आठ करोड़ रुपए के बीच होगी। यह रूस, फ्रांस और इजरायल से वायु सेना के लिए खरीदी जाने वाली BVRAAM की तुलना में काफी सस्ती होगी।
रूस निर्मित सुखोई लड़ाकू विमानो के अलावा देश में बने तेजस विमान में भी अस्त्र को लगाया जा सकता है। डीआरडीओ सुखोई के जरिए इस मिसाइल का पांच बार सफल परीक्षण कर चुका है और इसे लेकर काफी उत्साहित भी है। एक अधिकारी के अनुसार, पिछले हफ्ते ओडिशा के चांदीपुर कोस्ट से परीक्षण के दौरान लक्ष्य को 80 से 86 किलोमीटर की दूरी से भेदा गया था। यह निशाना एकदम सटीक था।