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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दुनिया में कहीं भी गैस चेंबर में मरने के लिए लोगों को नहीं भेजा जाता



नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में मैनहोल की सफाई के दौरान हो रही मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस अरुण मिश्रा, एमआर शाह और बीआर गवई की पीठ ने इस स्थिति को अमानवीय बताते हुए कहा कि सफाई कर्मचारी रोज मर रहे हैं और उन्हें सुरक्षा देने का कोई उपाय नहीं हो रहा। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि हाथों से सफाई करने वाले कर्मियों के लिए आपने क्या किया? किसी भी देश के लोग सुरक्षा उपकरणों के बगैर मैनहोल मे प्रवेश नहीं करते। पीठ ने एससी/एसटी कानून को लचीला बनाने के फैसले के खिलाफ दाखिल केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं।

सुप्रीम कोर्ट की पूरी टिप्पणी
'यह दुर्भाग्य है कि 70 साल बाद भी जातिगत भेदभाव समाज में जारी है। यह असभ्य और अमानवीय स्थिति है। मैनहोल और नालों में सफाई करने वालों को मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे सुरक्षा उपकरण नहीं मुहैया कराए जा रहे। जो अधिकारी सफाई कर्मियों को सुरक्षा देने में लापरवाही बरतते हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। हाथ से सफाई करने वालों के लिए आपने (सरकार) क्या किया? अभी भी छुआछूत का चलन है। सफाई करने वालों के साथ कोई नहीं रहना चाहता। स्थिति में सुधार किया जाना चाहिए।'

फैसला सुरक्षित
सर्वोच्च अदालत ने एससी/एसटी फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने की छूट दी है। केंद्र सरकार ने एससी/एसटी कानून में तत्काल एफआईआर और तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाले फैसले के खिलाफ यह पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

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