साहिर सदाबहार ,यादों का अदभुत संसार
नई दिल्ली। कालजयी रचनाकार साहिर लुधियानवी को याद करना हमेशा विलक्षण अनुभव होता है। इंडिया हेबिटेट सेंटर में शनिवार की शाम ऐसी ही बीती। गुलमोहर ऑडिटोरियम में के के कोहली की संस्था NASHIST ने साहिर पर बनाए गए मेरे बायोपिक का प्रदर्शन किया। इसका निर्माण राजेश बादल जी ने राज्य सभा टेलिविज़न का संपादक होने के दरम्यान किया था। फ़िल्म प्रदर्शन से पहले बायोपिक फ़िल्म निर्माण की दिशा में जो थोड़ा बहुत काम उन्होंने किया है ,उसके बारे में बहुत पुराने मित्र , कवि , समालोचक, छायाकार , वृत्तचित्र निर्माता और रेडियो - दूरदर्शन के डायरेक्टर जनरल रहे लीलाधर मंडलोई ने विवेचन किया। उन्होंने उनके पत्रकारिता - सफ़र को बेहद क़रीब से देखा है। मेरी बड़ी बहन जैसी कवियत्री ,अभिनेत्री और सामाजिक सरोकारों के प्रति अत्यंत संवेदनशील डॉक्टर लवलीन थडानी ने भी इस सफ़रनामे के भावुक पलों को साझा किया। के के कोहली जी ने इस आयोजन को आज की ज़रूरत बताया। राजेश बादल जी ने कहा कि
संतुष्ट हूँ कि साहिर लुधियानवी जैसे महान क़िरदार की ज़िंदगी और सरोकारों पर कुछ काम कर सका ,जो वहाँ मौजूद अधिकतर रसिकों को पसंद आया। कार्यक्रम में साहिर के पुराने दोस्त श्री अमर वर्मा ,इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन के हमारे वरिष्ठ सहयोगी डॉक्टर हरीश भल्ला ,मेरे मित्र और राज्यसभा टीवी में सहयोगी रहे श्री अनिल नायर , मुंबई से पधारीं जानी मानी गायिका बरखा पिंछा ,दुबई से आए मेरे छोटे भाई जैसे हैदर अमान ,बांदा से पधारे गोपाल गोयल जी, मित्र युगल सचिन और पूजा जी तथा अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति के लिए तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ।
आग्रह यही है कि साहिर की शायरी - संसार को आज जन जन तक ले जाने की आवश्यकता है। वे सच्चे अर्थों में भारतीय थे।